दुनिया के एेसे मंदिर जहां भगवान नहीं असुरों की होती है पूजा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Nov, 2017 03:22 PM

temples of demons

हिंदू साहित्य में वेद-पुराणों को भारत का प्रमाणिक इतिहास का दर्जा प्राप्त है। कोई भी देश या कोई भी इतिहास पर शोध करने वाली संस्था इन वेदों-पुराणों को अप्रमाणिक मानती हो लेकिन भारत का हर आदमी वेदों और पुराणों को ही देश का इतिहास समझता है।

हिंदू साहित्य में वेद-पुराणों को भारत का प्रमाणिक इतिहास का दर्जा प्राप्त है। कोई भी देश या कोई भी इतिहास पर शोध करने वाली संस्था इन वेदों-पुराणों को अप्रमाणिक मानती हो लेकिन भारत का हर आदमी वेदों और पुराणों को ही देश का इतिहास समझता है। यह वेद पुराण आर्यों, देवताओ, अनार्यों, राक्षसों या सुर-असुरों के युद्धों के भरे पड़े है। हजारों युद्धों का वर्णन इन वेदों पुराणों में किया गया है। 


इसमें ऐसे कई राक्षसों और असुरों का वर्णन है, जिन्होंने मनुष्यों, ऋषि-मुनियों यहां तक की देवताओं के लिए भी कई बार परेशानियों खड़ी की। ऐसे में देवी-देवताओं ने उन असुरों का वध करके सुख-शांति और धर्म की स्थापना की।


अनेक प्रकार के देवी-देवताओं के मंदिर पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। लेकिन दुनिया में   एेसी कईं जगहें हैं जहां देवताओं के नहीं बल्कि असुरों के मंदिर बने हुए हैं और विधि-विधान के साथ उनकी पूजा-अर्चना भी की जाती है। आज हम आपके ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं-

 

दुर्योधन मंदिर (नेटवार, उत्तराखंड)
उत्तराखंड की नेटवार नामक जगह से लगभग 12 किमी की दूरी पर महाभारत के मुख्य पात्र दुर्योधन का एक मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में दुर्योधन को देवता की तरह पूजा जाता है और यहां दुर्योधन की पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर से कुछ दूरी पर एक और मंदिर बना हुआ है। वह मंदिर दुर्योधन के प्रिय मित्र कर्ण का है। यहां के लोग महादानी कर्ण को अपना आर्दश एवं इष्टदेव मानते हैं। गांव का हर व्यक्ति कर्ण केे नक्शे कदम पर चलता है और धार्मिक व दान-पुणय के कार्यों के लिए दान देता है।  

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पुतना का मंदिर (गोकुल, उत्तरप्रदेश)
उत्तरप्रदेश के प्रसिद्ध नगर गोकुल में भगवान कृष्ण को दूध पिलाने के बहाने मारने का प्रयास करने वाली पूतना का भी मंदिर है। यहां पूतना की लेटी हुई और उसकी छाती पर चढ़कर उसका दूध पीते भगवान कृष्ण की प्रतिमा है। यहां मान्यता है कि पूतना ने श्रीकृष्ण को मारने के उद्देश्य से ही सही लेकिन एक मां का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को अपना दूध पिलाया था, इसलिए यहां पूतना को एक मां के रूप में पूजा जाता है।

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दशानन मंदिर (कानपुर, उत्तरप्रदेश)
उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर के शिवाला इलाके में दशानन मंदिर है, जहां रावण की पूजा होती है। यहां रावण को शक्ति का प्रतीक और महान पंडित माना जाता है। श्रद्धालु यहां उसकी पूजा करते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1890 में हुआ था।

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अहिरावण मंदिर (झांसी, उत्तरप्रदेश)
झांसी के पचकुइंया में भगवान हनुमान का एक मंदिर हैं, जहां हनुमान जी के साथ अहिरावण की भी पूजा की जाती है। अहिरावण रावण का भाई था और रामायण के युद्ध के दौरान उसने भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था। लगभग 300 साल पुराने इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल मूर्ति के साथ साथ अहिरावण और उसके भाई महिरावण की भी प्रतिमा की पूजा की जाती है।
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