लक्ष्य को पाने में मदद करेगी ये सीख, बदल गया था शिवा जी का भी जीवन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Aug, 2017 11:14 AM

this learning will help in achieving the goal

शिवाजी मुगलों के खिलाफ एक बार छापामार युद्ध लड़ रहे थे। एक रात वह थकी हालत में एक बुढिय़ा की झोंपड़ी में पहुंचे और उनसे कुछ खाने-पीने के लिए अनुरोध करने लगे। बुढिय़ा ने उनके सामने गर्म-गर्म खिचड़ी रख दी।

शिवाजी मुगलों के खिलाफ एक बार छापामार युद्ध लड़ रहे थे। एक रात वह थकी हालत में एक बुढिय़ा की झोंपड़ी में पहुंचे और उनसे कुछ खाने-पीने के लिए अनुरोध करने लगे। बुढिय़ा ने उनके सामने गर्म-गर्म खिचड़ी रख दी। शिवाजी को बहुत भूख लगी थी इसलिए उन्होंने जल्दबाजी में खिचड़ी को बीच से खाना शुरू कर दिया और इस कारण उनकी उंगलियां जल गईं। बुढिय़ा शिवाजी को ऐसे खाते हुए देख रही थी। वह बोली, ‘‘अरे सिपाही, तेरी शक्ल तो शिवाजी जैसी लगती है और तू भी उसी की तरह मूर्खतापूर्ण कार्य कर रहा है।’’


शिवाजी ने हैरानी से उससे पूरी बात स्पष्ट करने के लिए कहा। बुढिय़ा ने कहा, ‘‘तुम्हें किनारे-किनारे से थोड़ी-थोड़ी खिचड़ी खानी चाहिए थी और ठंडी खिचड़ी खाने की बजाय तुमने बीच के गर्म हिस्से में हाथ मारा और अपनी उंगलियां जला लीं। शिवाजी भी यही मूर्खता बार-बार दोहराता है। वह भी दूर किनारों पर बसे छोटे-छोटे किलों को जीतने की बजाय केंद्र में स्थित बड़े किलों पर हमला करता है और इसी कारण हार जाता है। उसे सबसे पहले छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने चाहिएं क्योंकि जब वह इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेगा तो उसकी शक्ति में बढ़ौतरी होगी जिस कारण आगे बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का आत्मविश्वास जागेगा।’’


शिवाजी को बुढिय़ा की बात तत्काल समझ में आ गई। उन्होंने पहले छोटे लक्ष्य बनाए और धीरे-धीरे छोटे-छोटे लक्ष्यों द्वारा आत्मविश्वास के बल पर बड़े से बड़ा युद्ध जीता।
 

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