Edited By Jyoti,Updated: 06 May, 2021 01:00 PM
प्रत्येक वर्ष वैसाख मास के कृष्ण मास की एकादशी तिथि के उपलक्ष्य में वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। शास्त्रों में प्रत्येक एकादशी को अलग नाम प्रदान है, तो वहीं इनका विभिन्न महत्व भी है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष वैसाख मास के कृष्ण मास की एकादशी तिथि के उपलक्ष्य में वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। शास्त्रों में प्रत्येक एकादशी को अलग नाम प्रदान है, तो वहीं इनका विभिन्न महत्व भी है। वरुथिनी एकादशी को लेकर कहा जाता है इस एकादशी का व्रत करने से जातक को कन्या दान के समान फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त तथा इससे जुड़े कुछ नियम आदि।
वरुथिनी एकादशी व्रत मुहूर्त :
एकादशी तिथि आरंभ - 06 मई 2021 को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 07 मई 2021 को शाम 03 बजकर 32 मिनट तक।
द्वादशी तिथि समाप्त- 08 मई को शाम 05 बजकर 35 मिनट पर।
एकादशी व्रत पारण समय- 08 मई को प्रातः 05 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक पारण की
कुल अवधि - 2 घंटे 41 मिनट।
अब जानते हैं शास्त्रों में वर्णित उस श्लोक के बारे में जिसमे वरुथिनी एकादशी व्रत के करने के नियम-
भविष्योत्तर पुराण में लिखा है-
कांस्यं मांसं मसूरान्नं चणकं कोद्रवांस्तथा।
शाकं मधु परान्नं च पुनर्भोजनमैथुने।।
अर्थात-
वरुथिनी एकादशी के दिन जातक को कांस के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
खासतौर पर ध्यान रखें कि इस दिन मांस और मसूर की दाल का भी सेवन न करें।
कुछ लोग इस दिन चने का और कोदों का शाक आधि ग्रहण कर लेेते हैं, शास्त्रों के अनुसार ऐसा नही करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन शहद का सेवन भी निषेध होता है।
एकादशी के दिन स्त्री संग शयन करना पाप माना जाता है, इसलिए ऐसा न करें।
इस दिन पान खाना, दातुन करना, नमक का सेवन, तेल अथवा अन्न का सेवन वर्जित होता है।
इसके अतिरिक्तिजुआ खेलना, क्रोध करना, मिथ्या भाषण करना, दूसरे की निंदा करना एवं कुसंगत का त्याग कर देना चाहिए।