Edited By Prachi Sharma,Updated: 20 Mar, 2024 08:20 AM
बात उस समय की है जब विनोबा भावे गांव-गांव घूमकर भू-दान आंदोलन के लिए भूमि एकत्रित कर रहे थे। उनके पास क्या था ? न धन, न कोई बाहरी सत्ता, पर सेवा के जोर पर उन्होंने करोड़ों लोगों
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vinoba Bhave Story: बात उस समय की है जब विनोबा भावे गांव-गांव घूमकर भू-दान आंदोलन के लिए भूमि एकत्रित कर रहे थे। उनके पास क्या था ? न धन, न कोई बाहरी सत्ता, पर सेवा के जोर पर उन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों में अपना घर बना लिया। उन्हें चालीस लाख एकड़ से ऊपर जमीन मिली। सैंकड़ों गांव ग्रामदान में मिले और जमीन दानियों की उनकी पास फौज इकट्ठी हो गई।
दरअसल उनके दिल में कोई स्वार्थ न था। ऐसे आदमी को अपने काम में सफलता मिलनी ही थी। वह हजारों मील पैदल चले। सर्दियों में चले, गर्मियों में चले, वर्षा में चले, धूप में चले। सेवा के आनन्द में लीन विनोबा चलते रहे, चलते रहे। देश का कोई भी कोना उन्होंने नहीं छोड़ा। एक दिन विनोबा भावे को बहुत-सी जमीन मिली थी। जब उन्हें दिनभर का हिसाब बताया गया तो वह मुस्कराने लगे।
बोले, “आज इतनी जमीन हाथ में आई है, लेकिन देखो, कहीं हाथ में मिट्टी चिपकी तो नहीं।’’
दरअसल, उन्होंने बड़े मर्म की बात कही थी जिसके हाथों में लाखों एकड़ भूमि आई हो, उसके हाथ में एक कण भी चिपका न रहे, इससे बड़ा त्याग और क्या हो सकता है।