मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की क्या है महिमा !

Edited By Lata,Updated: 13 Jan, 2019 09:55 AM

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मकर संक्रांति हर साल जनवरी में सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करने पर  मनाई जाती है, जोकि हर साल 14 जनवरी को पड़ती है, लेकिन अब की बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

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ज्योतिष के अनुसार हर साल की शुरूआती महीने जनवरी में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो ये त्यौ हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार ये 15 जनवरी को मनाया जाएगा। कहा जाता है कि आम दिनों की तुलना में इस दिन दान, तप, पूजा-पाठ आदि का सौ गुना फल मिलता है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदियों में विशेष करके गंगा नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। धर्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन तीर्थराज प्रयाग या गंगा में स्नान करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। मकर संक्रांति पर्व के संबंध में गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है-
PunjabKesariमाघ मकरगत रबि जब होई। तीरतपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।। (रा.च.मा. 1/44/3)

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अर्थात- इस दिन जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सब लोग गंगा स्नान के लिए जाते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह आदरपूर्वक गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए मकर संक्रांति पर्व पर प्रयाग में गंगा स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। कहा जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने से 10 गुणा अधिक फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करके व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 
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उत्तर भारत में गंगा-यमुना के किनारे बसे गांवों व नगरों में मेलों का अयोजन भी होता है। भारत में सबसे बड़ा मकर संक्रांति का मेला बंगाल के गंगासागर में लगता है। जहां देश-विदेश के लोग पहुंचते हैं।
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