Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Oct, 2018 12:52 PM
बुद्ध ने उसे एक पत्थर दिया और कहा जाओ और इस पत्थर का मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसे बेचना नहीं है। वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला, ‘‘इसकी कीमत क्या है?’’
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एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’
बुद्ध ने उसे एक पत्थर दिया और कहा जाओ और इस पत्थर का मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसे बेचना नहीं है। वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला, ‘‘इसकी कीमत क्या है?’’
संतरे वाला चमकीले पत्थर को देखकर बोला, ‘‘12 संतरे ले जाओ और इसे मुझे दे दो।’’
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा कि एक बोरी आलू ले जा और इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जा। वह आदमी आगे एक सोना बेचने वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखाया। सुनार उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला कि मैं इसके 50 लाख रुपए दे सकता हूं। उसने मना कर दिया तो सुनार बोला, ‘‘2 करोड़ में दे दो या तुम खुद ही बता दो इसकी कीमत क्या है, जो तुम मांगोगे मेरी हद में होगा तो दे दूंगा।’’ उस आदमी ने सुनार से कहा कि मेरे गुरु ने इसे बेचने से मना किया है।
वह आगे बढ़ा तो हीरे बेचने वाले एक जौहरी से उसकी मुलाकात हुई और उसे वह पत्थर दिखाया। जौहरी ने जब उस बेशकीमती रूबी को देखा तो पहले उसने रूबी के पास एक लाल कपड़ा बिछाया, फिर उस बेशकीमती रूबी की परिक्रमा की, माथा टेका। जौहरी बोला, ‘‘कहां से लाए हो यह बेशकीमती रूबी? सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती, ये तो बेशकीमती है।’’
वह आदमी हैरान-परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया। उसने आपबीती बताई और बोला कि अब बताओ भगवान, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है? बुद्ध बोले, ‘‘संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत '12 संतरे' की बताई। सब्जी वाले के पास गया तो उसने इसकी कीमत एक बोरी आलू बताई। आगे सुनार ने इसकी कीमत 2 करोड़ बताई और जौहरी ने इसे बेशकीमती बताया। अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है।’’
तू बेशक हीरा है लेकिन सामने वाला तेरी कीमत अपनी औकात, अपनी जानकारी, अपनी हैसियत से लगाएगा। अत: घबराओ मत, लोगों की आलोचना से विचलित मत होना। दुनिया में तुझे पहचानने वाले भी मिल जाएंगे।
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