Kundli Tv- कौन था गांधारी के कुल का हत्यारा

Edited By Jyoti,Updated: 22 Oct, 2018 09:59 AM

who is the killer of gandharis kul

धृतराष्ट्र महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र और महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। कहा जाता है कि इनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था।

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धृतराष्ट्र महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र और महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। कहा जाता है कि इनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के इस नेत्रहीन महाराज के सौ पुत्र और एक पुत्री थी। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र कौरव कहलाए। दुर्योधन और दुःशासन क्रमशः पहले दो पुत्र थे। इसके बारे में तो ज्यादातर लोगों को पता ही होगा। लेकिन आज हम महाभारत की से जुड़ी से आपको एक एेसी बात बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा। 
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आइए सबसे पहले जानते हैं धृतराष्ट्र के अंधे होने के पीछे का रहस्य-
कुछ लोगों के अनुसार धृतराष्ट्र अपने जन्म से ही अंधे थे। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दरअसल धृतराष्ट्र अपने पूर्व जन्म में एक बहुत दुष्ट राजा हुआ करते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि नदी में एक हंस अपने बच्चों के साथ आराम से घूम रहा है। राजा केन आदेश पर हंस की आंख फोड़ दी गई और उसके बच्चों को मार दिया गया। जिस वजह से अगले जन्म में वह अंधा पैदा हुआ और उसके इस दुष्टता का खामियाजा उसके 100 पुत्रों को अपने प्राण देकर भुगतना पड़ा। इतना ही नहीं अंधे होने की वजह से उसे राजपाठ से वंचित रहना पड़ा। 
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यही कारण था कि बड़े पुत्र होने के बावजूद भी उन्हें छो़डकर पांडू को राजा बना दिया गया और उनके हाथ में राज पाठ सौंप दिया गया। बता दें कि धृतराष्ट्र बल विद्या में बहुत ही श्रेष्ठ थे, तो वहीं पांडू धनुर्विद्या में, विदुर धर्म और नीति में पारंगत थे। विदुर दासी पुत्र था इसलिए पांडू की मौत के बाद धृतराष्ट्र को राजा बनाया गया। राज गद्दी पर बैठने के बाद वे नहीं चाहते थे कि उनके बाद युधिष्ठिर राजा बने, बल्कि वे चाहते थे कि उनका पुत्र दुर्योधन राजा बने। इसी कारण वे लगातार पांडव पुत्रों की उपेक्षा करते रहे। 
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आइए अब आपको हैं कि गांधारी परिवार को किसने मारा था। गांधारी के परिवार को मारने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका ही पति धृतराष्ट्र था। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों धृतराष्ट्र ने अपनी ही धर्मपत्नी के परिवार का खात्मा कर दिया। गौरतलब है कि गंधारी की कुंडली में दोष के कारण एक साधु के कहे अनुसार उनका विवाह पहले एक बकरे के साथ संपन्न करवाया गया था। बाद में उस ही बकरे की बलि दे दी गई थी। ये बात गांधारी और उसके परिवार वालों ने विवाह के समय छुपाई थी। तो जब ध्रतराष्ट्र को इस बात का पता चला तो उसने गांधार नरेश सुबाला और उसके 100 पुत्रों को कारावास में डाल दिया और काफी यातनाएं दी। 
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यहां तक कि उन्हें भोजन भी कम दिया जाता था। जिस वजह से एक-एक करके सुबाला के सभी पुत्र मरने लगे। उन्हें खाने के लिए सिर्फ मुट्ठी भर चावल दिए जाते थे। ये सब देखते हुए सुबाला ने अपने सबसे छोटे बेटे शकुनि को प्रतिशोध के लिए तैयार किया। जिसके बाद सभी लोग अपने हिस्से के चावल शकुनि को देते थे ताकि वे जीवित रहकर कौरवों का नाश कर सके। मृत्यु से पहले सुबाला ने ध्रतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की बिनती की जो ध्रतराष्ट्र ने मान ली। सुबाला ने शकुनि को अपनी रीढ़ की हड्डी क पासे बनाने के लिए कहा वही पासे कौरव वंश के नाश का कारण बने। बाहर निकलने के बाद शकुनि ने पहले तो हस्तिनापुर में सबका विश्वास जीता और 100 कौरवों का अभिवावक बना। उसने न केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया बल्कि महाभारत के युद्ध का आधार भी बनाया।
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