Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Mar, 2020 10:14 AM
भगवान शिव के वरदान के कारण ही प्रत्येक शुभ कार्य से पूर्व भगवान श्री गणपति वंदना करने की परंपरा है। भगवान श्री गणेश के जीवन से जुड़े हुए कई आख्यान विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं पुराणों में मिलते हैं
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भगवान शिव के वरदान के कारण ही प्रत्येक शुभ कार्य से पूर्व भगवान श्री गणपति वंदना करने की परंपरा है। भगवान श्री गणेश के जीवन से जुड़े हुए कई आख्यान विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं पुराणों में मिलते हैं, परंतु शिव पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती कैलाश पर्वत पर स्नान करने के लिए गईं,
बाद में भगवान शिव वहां आए तो उनके पुत्र गणेश ने भगवान शिव को वहां आने से रोका, क्योंकि भगवान शिव को पता नहीं था कि जो बालक उन्हें रोक रहा है, वह उनका ही पुत्र गणेश है। भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक का सिर काट दिया। माता पार्वती ने जब अपने पुत्र का सिर कटा देखा तो वह रोने लगीं।
माता पार्वती ने कहा कि उन्हें अपना पुत्र चाहिए तो भगवान शिव ने अपने गण चारों दिशाओं में भेजे तथा कहा कि जिस प्राणी को वह सबसे पहले पाएं उसका शीश काट कर लाएं। उत्तर दिशा की ओर गए गण एक हाथी का सिर काट कर लाए और भगवान शिव ने गणेश के शरीर के साथ उस शीश को लगा दिया।
माता पार्वती हाथी के सिर वाले पुत्र को पाकर भी जब खुश न हुईं तो भगवान शिव ने माता पार्वती को वरदान दिया कि प्रत्येक शुभ कार्य से पूर्व लोग श्री गणेश का नाम लेंगे तथा उनका पूजन करके जो काम शुरु होगा, वह सफल होगा।