गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर: विश्व पृथ्वी दिवस पर धरती के संरक्षण का लें संकल्प

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Apr, 2024 09:17 AM

world earth day

हमारा शरीर पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश इन पञ्चभूतों से बना है। पंचभूतों में प्रथम स्थान पृथ्वी तत्व का है। संस्कृत में संपूर्ण विश्व को प्रपंच कहा जाता है। यह संपूर्ण संसार कुछ इस तरह से बना है कि

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World Earth Day: हमारा शरीर पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश इन पञ्चभूतों से बना है। पंचभूतों में प्रथम स्थान पृथ्वी तत्व का है। संस्कृत में संपूर्ण विश्व को प्रपंच कहा जाता है। यह संपूर्ण संसार कुछ इस तरह से बना है कि ईश्वर, पृथ्वी तत्व में सर्वाधिक प्रधानता से उपस्थित हैं। पर्यावरण हमारा पहला शरीर है, जहां से हमें अन्न मिलता है। हमारी पांचों इन्द्रियों का भोजन हमें हमारे वातावरण से मिलता है। हमारा पूरा जीवन भोजन, स्वच्छ जल, शुद्ध हवा और अग्नि पर निर्भर है। ये सभी हमें पृथ्वी तत्व, जल तत्व, वायु तत्व और अग्नि तत्व से मिलता है । ये सभी चार तत्व आकाश तत्व में रहते हैं इसलिए हमें इन पांचो भूतों को सम्मान करना चाहिए और इन्हें शुद्ध रखना चाहिए । तभी हम जीवन में सुखी रह सकते हैं  और तभी यह दुनिया टिक सकती है।  

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We have only one earth, it is our responsibility to save it हमारे पास है एक ही पृथ्वी, से बचाना हमारी जिम्मेदारी
हमें इस बात के प्रति सजग रहना चाहिए कि हमारे पास केवल एक ही पृथ्वी है। हम यहीं बड़े हुए हैं और हमारा यह शरीर पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है। आज आप दुकानों जो में देखते हैं, कल जब आप उन्हें खाएँगे तो वही आपके शरीर का अंश बन जाएगा। जब हम इस ग्रह पर आये, तब हम केवल 4 या  5 किलो के थे और अभी आपके शरीर का जो भी वजन है वह सब इसी पृथ्वी तत्व से ही आया है।  इसलिए आप ऐसा नहीं कह सकते कि ‘मैं अपने शरीर की तो देखभाल करूंगा लेकिन हवा, मिटटी और पानी की गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी मेरी नहीं है।’  

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Do not put chemical fertilizers in the fields खेतों में न डालें रासायनिक खाद 
आज हम देखते हैं कि पिछले कई दशकों से कई तरह की रासायनिक खाद डाल कर हम अपनी ज़मीन को निर्वीर्य कर दे रहे हैं । हमें पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए रासायनिक खादों का उपयोग पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए और नैसर्गिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए । आज आर्ट ऑफ़ लिविंग के हजारों स्वयंसेवकों के प्रयासों द्वारा, भारत में लाखों किसान नैसर्गिक खेती कर रहे हैं। नैसर्गिक खेती से न केवल किसानों जीवन स्तर उपर उठा है बल्कि रासायनिक खेती से ज़मीन को होने वाले नुकसान में भी कमी आई है ।  

बहुत से लोगों को ये भ्रम है कि नैसर्गिक खेती से उनको मुनाफा नहीं होगा। ये गलत है, ऐसा नहीं है । नैसर्गिक खेती द्वारा हमारे किसान आज आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं। तो यह आवश्यक है कि ज़मीन पर ऎसी कोई भी ऐसी चीज़ न डालें जिससे ज़मीन खराब हो । इसलिए आपको ऑर्गेनिक चीज़ों का उपयोग करना चाहिए।

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If we want to increase the water level in the ground then we will have to plant trees जमीन में पानी का स्तर बढ़ाना है तो पेड़ लगाने होंगे 
हमारी परंपरा में यह एक पुरातन प्रथा है कि हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में पाँच बड़े-बड़े वृक्ष लगाने चाहिए । तो हर व्यक्ति आज यह संकल्प ले कि हम अपने जीवन में कम से कम पाँच वृक्ष लगाएंगे । वृक्ष लगाने से भूमिगत जल के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है। 

इसके साथ साथ हमें जल के स्रोत की सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए । यदि हमें नदियों और तालाबों को बचाना है तो उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है । जो नदियाँ और तालाब सूख गए हैं  उनको पुनर्जीवित करना भी बहुत आवश्यक है ।  

Need to reduce pollution on earth पृथ्वी पर प्रदूषण कम करने की जरूरत
प्रदूषण से पृथ्वी को बहुत हानि पंहुच रही है। पृश्वी पर प्रदूषण कम करने लिए हमें  सौर ऊर्जा और हवा की ऊर्जा को ईंधन के रूप में प्रयोग करने पर बढ़ावा देना चाहिए। हवा को शुद्ध रखने के लिए प्लास्टिक जलाना बंद करें; खेतों को जलाना भी बंद करना चाहिए । इस तरह से एक प्रगतिशील उद्देश्य के साथ काम करें ताकि हम पर्यावरण का संरक्षण कर पायें। 
 
पृथ्वी माता है, वह भूदेवी है । भगवान विष्णु के एक तरफ श्रीदेवी (लक्ष्मी) हैं और एक तरफ भूदेवी हैं । हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि हम भूमि का संरक्षण नहीं करेंगे तो न श्री रहेंगी, न जीवन रहेगा और न नारायण ही रहेंगे ।

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