Kundli Tv- प्रभु के इस रूप की पूजा दिलाती है जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 17 Jun, 2018 05:58 PM

worship of lord shiva

ऐसी कहावत है कि “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”। अर्थात भक्त जैसी भावना से ईश्वर का स्मरण करता है, ईश्वर वैसे ही स्वरूप में कृपा देते हैं। दृष्टि के बदलते ही सृष्टि बदल जाती है, क्योंकि दृष्टि का परिवर्तन मौलिक परिवर्तन है। इसलिए तो...

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ऐसी कहावत है कि “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”। अर्थात भक्त जैसी भावना से ईश्वर का स्मरण करता है, ईश्वर वैसे ही स्वरूप में कृपा देते हैं। दृष्टि के बदलते ही सृष्टि बदल जाती है, क्योंकि दृष्टि का परिवर्तन मौलिक परिवर्तन है। इसलिए तो सम्यकदृष्टि की दृष्टि में सभी कुछ सत्य होता है और मिथ्या दृष्टि बुराइयों को देखता है। अच्छाइयां और बुराइयां हमारी दृष्टि पर आधारित हैं। सनातन धर्म में ईश्वर का ऐसा ही कृपालु स्वरूप शिव को माना जाता है, अतः शिव के स्वरूपों की पुराणों में विभिन्न नामों से महिमा की गई है।शिव के ये स्वरूप चमत्कारिक रूप से दैविक व आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करते हैं।हम अपने पाठकों को इस लेख के माध्यम शिव के स्वरूपों की महिमा व प्रभाव से जुड़े रोचक पहलू बताने जा रहे हैं। 


अष्टमूर्ति: शास्त्रों में परमेश्वर शिव की अष्टमूर्ति पूजा का भी महत्व बताया गया है। यह अष्टमूर्ति है - शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव, जो क्रम से पृथ्वी, जल, अग्रि, वायु, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चन्द्र रूप में स्थित मूर्ति मानी गई है।साम्ब-सदाशिव, अर्द्धनारीश्वर, महामृत्युञ्जय, पशुपति, उमा-महेश्वर, पञ्चवक्त्र, कृत्तिवासा, दक्षिणामूर्ति, योगीश्वर और महेश्वर नाम से भी शिव के अद्भुत और शक्ति संपन्न स्वरूप पूजनीय है। 

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बाघम्बर: शिव बाघ की खाल पर बैठते और धारण भी करते हैं। कहीं वे हाथी की खाल के वस्त्र भी धारण करने वाले बताए गए हैं। इनमें संदेश यही है कि शिव की तरह हिंसा भाव व हाथी की तरह शक्ति संपन्न होने पर भी अहंकार पर विजय पाएं।


रूद्र: परमेश्वर शिव का परब्रह्म स्वरूप है रुद्र, जो सृष्टि रचना, पालन और संहार शक्ति के नियंत्रक माने गए हैं। रुद्र शक्ति के साथ शिव घोरा के नाम से भी प्रसिद्ध है। रुद्र रूप माया से परे ईश्वर का वास्तविक स्वरूप और शक्ति मानी गई है।

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महादेव: शिव को महादेव पुकारा जाता है और शिवलिंग आध्यात्मिक ऊर्जा का भंडार होता है, इसलिए शिवलिंग पूजा हर कमी, कमजोरी और रुकावटों का अंत कर देती है। इससे विश्वास, साहस और शक्ति मिलती है।


शर्व: शिव शर्व भी पुकारे जाते हैं यानी सभी कष्टों को हरने वाले। इनमें बुरे कर्म और दुष्टों का नाश प्रमुख है। यही कारण है कि गई शिवभक्ति शत्रु बाधा के अंत के लिए अचूक मानी गई है।


पंचमूर्ती: शिव की पंचमूर्तियां हैं ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव और सद्योजात नाम से पूजनीय है, जो खासतौर पर पंचवक्त्र पूजा में पंचानन रूप का पूजन किया जाता है।

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आशुतोष: शिव आशुतोष यानी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इसलिए यह भी तय है कि इस स्वरूप का स्मरण जल्दी ही इच्छा पूरी कर सदा प्रसन्न रखता है।


गंगाधर: परमेश्वर शिव का गंगाधर स्वरूप मन-मस्तिष्क में पावन विचारों को प्रवाहित करने की प्रेरणा है।


त्रिलोकेश: शिव त्रिलोकेश रूप में भी पूजनीय है, जिनकी आराधना जनम-मरण के बंधन से मुक्त करती है।


वैद्यनाथ: परमेश्वर शिव वैद्यनाथ के रूप में पूजनीय हैं, इसलिए इस स्वरूप की भक्ति निरोगी बना देती है। 

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मृत्युंजय: शिव मृत्युंजय है। इस स्वरूप की उपासना काल, भय और रोग से मुक्त रखती है।


सदाशिव: शिव का साकार रूप सदाशिव नाम से प्रसिद्ध है।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल kamal.nandlal@gmail.com
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