Edited By ,Updated: 08 Sep, 2016 09:56 AM
श्रीगणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गौरी पुत्र गणेश अपने भक्तों के कष्ट हर कर उन्हें खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं। देवी-देवताअों के उन स्थानों का विशेष
श्रीगणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गौरी पुत्र गणेश अपने भक्तों के कष्ट हर कर उन्हें खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं। देवी-देवताअों के उन स्थानों का विशेष महत्व होता है, जहां परमात्मा की किसी शक्ति का आविर्भाव हुआ हो। ऐसे स्थानों को तीर्थ कहा जाता है। दुनिया में श्रीगणेश के कई मंदिर हैं। जहां गणेश जी गजमुख में विराजमान हैं। तकरीबन प्रत्येक मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा गजमुख स्वरूप में है परंतु तमिलनाडु में श्रीगणेश का एक ऐसा मंदिर है, जहां गणपति जी नर मुख में विराजमान हैं।
तमिलनाडु के कूटनूर से 2 कि.मी. दूर तिलतर्पणपुरी में भगवान श्रीगणेश का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को आदि विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां गणपति नर मुख में विराजमान हैं। तिलतर्पणापुरी शब्द दो शब्दों के मेल से बना है- तिलतर्पण+ पूरी। तिलतर्पण का अर्थ है पूर्वजों को समर्पित अौर पुरी का अर्थ है शहर अर्थात पूर्वजों को समर्पित शहर।
इस स्थान पर पूर्वजों की शांति के लिए पूजा करने का महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि यहां श्रीराम ने अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजन किया था। आज भी बहुत सारे भक्त अपने पूर्वजों की शांति के लिए यहां पूजा करते हैं।
कूटनूर में सरस्वती मंदिर है। जिसे कवि ओट्टकुठार ने बनवाया था। यहां आने वाले भक्त सरस्वती मंदिर के दर्शन किए बिना नहीं जाते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव का भी मंदिर बना है। इस मंदिर से बाहर निकलते ही श्रीगणेश का नरमुखी मंदिर स्थित है।