Edited By ,Updated: 02 Oct, 2015 03:46 PM
अधिकतर शनि मंदिरों में शनि देव काले रंग में विराजित होते हैं और उन्हें तेल से अभिषेक करवाकर प्रसन्न किया जाता है लेकिन इंदौर के जूनी क्षेत्र में पुरातन शनि मंदिर हैं जहां
अधिकतर शनि मंदिरों में शनि देव काले रंग में विराजित होते हैं और उन्हें तेल से अभिषेक करवाकर प्रसन्न किया जाता है लेकिन इंदौर के जूनी क्षेत्र में पुरातन शनि मंदिर हैं जहां सिंदूरी शनि महाराज16 श्रृंगार किए दर्शन देते हैं। अपने चमत्कारी किस्सों को लेकर यह मंदिर बहुत विख्यात है। इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों को दिखते हैं चमत्कार।
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शनिदेव की इस मूर्त के दर्शन कर कई जन्मों का पुण्य अर्जित किया जा सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की इस मंदिर में पूजा करने का अनोखा विधान है। दूध और जल से शनिदेव का अभिषेक किया जाता है। फिर उनका सिंदूर और फूलों से श्रृंगार कर उन्हें राजसी पोशाक पहनाकर तैयार किया जाता है। यह श्रृंगार इतना विराट और आलीशान होता है की इसे पूरा होने में लगभग 6 घंटे का समय लगता है। आरती के साथ ही शहनाई वादन आरंभ हो जाता है जो आरती पूरी होने तक लगातार बजती रहती है।
आमतौर पर शनि का काला और विराट रूप भक्तों के मन में डर पैदा करता है लेकिन इस मंदिर में स्वयंभू शनि की प्रतिमा है जो लगभग 700 साल वर्षों से स्थापित है। शनिदेव का रूप आकर्षक श्रृंगार के बाद भक्तों को अपने मोहपाश में बांध लेता है और भक्त मंत्रमुग्ध हुए एकटक उन्हें निहारते रहते हैं।
मंदिर की स्थापना के पीछे कथा प्रचलित है की जब ये क्षेत्र जंगलों से घिरा था उस समय एक अंधे धोबी के सवप्न में शनिदेव आए और उससे बोले," जिस पत्थर पर तुम कपड़े धोते हो उस पत्थर में मैं वास करता हूं।"
धोबी बोला," मैं तो अंधा हूं मुझे कैसे पता चलेगा।"
जब धोबी सुबह उठा तो उसे सब कुछ दिखने लगा। उसने उस पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई। वहां का आम जनमानस कहता है की एक दिन मूर्ति स्वयं ही उसी स्थान पर स्थापित हो गई जहां से उसे निकाला गया था। तभी से यहां पूजन का काम आरंभ हो गया। वैसे तो यहां प्रतिदिन भक्त दर्शनों के लिए आते हैं लेकिन शनिवार को विशेष तौर पर भक्त दर्शनों को लिए आते हैं। यहां आने वाले भक्त कहते हैं की यहां आने से मन शांत होता है, कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रहती, विशेष तौर पर ढैय्या और साढ़ेसाती में लाभ मिलता है।