आज यमराज यमपुरी को छोड़कर आएंगे धरती पर, जानें कौन से स्थान पर

Edited By Updated: 13 Nov, 2015 08:37 AM

yamuna

भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज पर्व भाईयों के प्रति बहनों के श्रद्धा व विश्वास का पर्व है। इस पर्व को बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगा कर मनाती हैं और

भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज पर्व भाईयों के प्रति बहनों के श्रद्धा व विश्वास का पर्व है। इस पर्व को बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगा कर मनाती हैं और भगवान से अपने भाइय़ों की लम्बी आयु की कामना करती हैं। दीपोत्सव का समापन दिवस है कार्तिक शुक्ल द्वितीय। जिसे भैयादूज कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो यम देव की उपासना करता है, उसे असमय मृत्यु का भय नहीं रहता। इस दिन बहन अपने भाई के तिलक लगाकर स्नेह-प्रेम की अभिव्यक्ति करती हैं।

इस दिन यमराज ने अपनी बहन के घर आतिथ्य स्वीकार किया था और भोजन ग्रहण किया था, इसलिए युगों से इस परम्परा का भाई आज भी निर्वाह करते आ रहे हैं। कहते हैं आज भी यमराज अपनी यमपुरी को छोड़कर अपनी बहन यमुना के घर आते हैं।

नि:स्वार्थ भावना के द्वारा ही भाई-बहन के संबंधों को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। इस दिन बहन के यहां भोजन करने और द्रव्य देने की प्रथा है जो शुभ समझा जाता है। दूर-दूर से भाई-बहन यमुना स्नान करने मथुरा आते हैं और पुण्य के भागी होते हैं। मान्यता है कि यमुना के तट पर भाई अपनी बहन के हाथ का बनाया भोजन ग्रहण करें तो इसके लिए आयुवर्धक होता है। व्यवसायी लोग इस दिन कलम दवात की पूजा भी करते हैं।

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