माघ मेले में 75 साल बाद बन रहा है अत्यंत दुर्लभ संयोग, जानें स्नान दान का महत्व

Edited By Updated: 10 Dec, 2025 03:11 PM

magh mela 2026

इस बार प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर लगने वाला माघ मेला 2026 न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ संयोग का साक्षी बनने जा रहा है।

Magh Mela 2026: इस बार प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर लगने वाला माघ मेला 2026 न केवल आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ संयोग का साक्षी बनने जा रहा है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, लगभग 75 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद इस माघ मास में एक ऐसा विशिष्ट योग बन रहा है, जिसके चलते इसे मिनी महाकुंभ के रूप में देखा जा रहा है।

कब से शुरू होगा यह पवित्र मास?
माघ मेले की शुरुआत 3 जनवरी 2026 को पौष पूर्णिमा के पवित्र दिन से होगी। यह पावन पर्व 15 फरवरी 2026 को महाशिवरात्रि तक चलेगा। पूरे एक महीने तक संगम की रेती पर कल्पवास की परंपरा निभाई जाएगी।

75 साल बाद का अद्भुत संयोग क्या है?
संतों और ज्योतिषियों के दावे के अनुसार, इस बार मकर संक्रांति के दिन एक ऐसा ग्रह-नक्षत्र योग बन रहा है जो पहले 75 वर्षों में नहीं बना। सूर्य का यह उत्तरायण होना और विशिष्ट नक्षत्रों का साथ मिलना इस मेले को महाकुंभ जितना ही फलदायी बना रहा है। यही वजह है कि इसे मिनी महाकुंभ कहा जा रहा है और इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि की उम्मीद है।

संगम स्नान और दान का महत्व
इस विशिष्ट संयोग में, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान संगम में एक डुबकी लगाने से व्यक्ति को महाकुंभ में स्नान करने जैसा ही पुण्य प्राप्त होता है और सभी पाप धुल जाते हैं। माघ मास में, विशेषकर संक्रांति और मौनी अमावस्या जैसे प्रमुख स्नान पर्वों पर, दान करने का भी विशेष विधान है। दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

माघ की शुरुआत में बन रहा है अद्भुत योग
ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल माघ महीने की शुरुआत रविवार, 04 जनवरी को हो रही है। इस दिन त्रिपुष्कर योग जैसा एक बेहद शुभ और अद्भुत संयोग बन रहा है। यह भी संयोग है कि माघ मेले का समापन भी रविवार को ही होगा। खास बात यह है कि इस बार 75 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, सूर्य देव अपने ही दिन, यानी रविवार को, मकर राशि में प्रवेश करेंगे। चूंकि रविवार सूर्य का दिन माना जाता है, इसलिए यह योग अत्यंत फलदायी और शक्तिशाली हो जाता है।
 

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