आंगनवाड़ी, स्कूली शिक्षा का अंतर दूर करने और राष्ट्रीय प्री स्कूली शिक्षा दिशा-निर्देश तैयार

Edited By pooja,Updated: 16 May, 2018 04:46 PM

anganwadi school education andl pre school education guidelines

आंगनबाड़ी और स्कूली शिक्षा के बीच अंतर को दूर करने के लिये सरकार नर्सरी कक्षा को मुख्यधारा के पठन पाठन में जोडऩे के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

नई दिल्ली: आंगनबाड़ी और स्कूली शिक्षा के बीच अंतर को दूर करने के लिये सरकार नर्सरी कक्षा को मुख्यधारा के पठन पाठन में जोडऩे के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस उद्देश्य के लिए प्री स्कूली स्तर पर शिक्षा दिशा-निर्देश तैयार करने के बारे में व्यापक चर्चा शुरू की गई है।      

इस बारे में पूछे जाने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनिल स्वरूप ने बताया कि आंगनवाड़ी में 3 साल से 5 साल तक के बच्चे पढ़ते हैं जबकि शिक्षा का अधिकार :आरटीई: कानून के तहत छह से 14 साल के बच्चे आते हैं। इस प्रकार से एक साल का अंतराल रह जाता है। उन्होंने कहा कि हम इस अंतर को दूर करना चाहते हैं ।  

     
यह पूछे जाने पर कि क्या प्री स्कूली शिक्षा को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन करना पड़ेगा, स्वरूप ने कहा कि उनका मानना है कि ऐसी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। इस योजना को समग्र शिक्षा अभियान के तहत लागू किया जाना है। शिक्षा का अधिकार कानून बच्चों को मिलने वाले किसी फायदे को सीमित नहीं करता ।  उन्होंने कहा कि कोई सरकार अगर बच्चों को कोई लाभ देना चाहती है, तो दे सकती है।  अनिल स्वरूप ने कहा कि मंत्रालय प्री स्कूल स्तर पर शिक्षा के बारे में राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार करने के लिये सभी पक्षकारों से बात कर रहा है । एनसीईआरटी ने एक प्रकार का दिशानिर्देश तैयार किया है। हम इस संबंध में राज्यों समेत अन्य पक्षकारों की राय ले रहे हैं।       

उन्होंने कहा कि प्री स्कूली स्तर पर सबसे चुनौतीपूर्ण विषय स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है। इसे देखते हुए निजी क्षेत्रों से भी सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं। ऐसे विचारों एवं सुझावों पर जोर दिया जा रहा है जो राजनीतिक रूप से स्वीकार्य, सामाजिक रूप से जरूरी, तकनीकी रूप से वहनीय, वित्तीय रूप से व्यवहार्य और प्रशासनिक रूप से लागू किये जाने योग्य हो।      

मंत्रालय के अनुसार, प्री स्कूल स्तरीय राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार करने के बारे में चर्चा इसलिये भी शुरू की गई है क्योंकि इस बारे में कोई ठोस एवं व्यवस्थित योजना नहीं है।  मंत्रालय का प्रयास सभी पक्षकारों से चर्चा कर व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने की है ताकि राज्य सरकारों को एक आधार मिल सके।  प्री स्कूली राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार करते समय राज्यों में इस संबंध में हो रहे अच्छे कार्यों से सीखने और उनका विश्लेषण करने का कार्य भी जारी है।  
 

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