Edited By Sonia Goswami,Updated: 21 Feb, 2019 11:02 AM
दिल्ली यूनिवर्सिटी में अंडरग्रैजुएट एडमिशन की पॉलिसी के लिए बनी कमिटी को सुझाव मिले हैं कि वह छात्रों को कॉलेज और कोर्स बदलने के मौकों की संख्या तय कर दी जाए।
नई दिल्लीः दिल्ली यूनिवर्सिटी में अंडरग्रैजुएट एडमिशन की पॉलिसी के लिए बनी कमिटी को सुझाव मिले हैं कि वह छात्रों को कॉलेज और कोर्स बदलने के मौकों की संख्या तय कर दी जाए। किसी कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद अक्सर छात्र दूसरी लिस्ट में किसी और कॉलेज में नाम आने पर अपना एडमिशन वापस ले लेते हैं।
कमिटी की मीटिंग में आए अलग-अलग कॉलेजों के प्रिंसीपल्स का कहना था कि बार-बार एडमिशन वापस लेने से एडमिशन की प्रक्रिया बाधित होती है। कमिटी के एक सदस्य ने बताया कि कई स्टूडेंट्स कई कॉलेज बदलते हैं। ऐसे में लंबे समय तक आवेदकों की सही संख्या का पता ही नहीं चल पाता है। प्रशासन को डॉक्युमेंट्स वेरिफाई करने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
नॉर्थ कैंपस के एक कॉलेज के प्रिंसीपल ने बताया कि अगर कॉलेज बदलने के मौके निर्धारित कर दिए जाएंगे तो छात्र सिर्फ अपने पसंदीदा कॉलेज और कोर्स में ही ऐडमिशन लेंगे ना कि सिर्फ सीट ब्लॉक करने के लिए। जनवरी में यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर टीचर्स का एक सर्वे किया था। उस सर्वे में भी ज्यादातर टीचर्स ने यह सुझाव दिया था।