शोध में खुलासाःस्कूल कैंटीन  बढ़ा रही मोटापा

Edited By Sonia Goswami,Updated: 20 Sep, 2018 10:35 AM

discovered in research school canteens raising obesity

आज के समय में बेशक पेरैंट्स अपनी स्मार्ट लुक को लेकर काफी संजीदा हो गए हैं और जिम कल्चर भी तेजी से बढ़ रहा है। मगर इसी बीच एक हैरान करने वाली खबर यह भी है कि पेरैंट्स का व्यस्त शैड्यूल उनके लाडले की सेहत को बिगाड़ रहा है।

लुधियाना (विक्की): आज के समय में बेशक पेरैंट्स अपनी स्मार्ट लुक को लेकर काफी संजीदा हो गए हैं और जिम कल्चर भी तेजी से बढ़ रहा है। मगर इसी बीच एक हैरान करने वाली खबर यह भी है कि पेरैंट्स का व्यस्त शैड्यूल उनके लाडले की सेहत को बिगाड़ रहा है। क्योंकि अधिकतर पेरैंट्स के बिजी शैड्यूल की वजह से उन्हें या तो नाश्ता या फिर स्कूल से लौटने के बाद दोपहर के भोजन में संतुलित आहार नहीं मिल पाता है।
इसी कारण बच्चे भूख लगने पर स्कूल्ज कैंटीनों में ही जंकफूड खाने को तरजीह देते हैं। बच्चों में बढ़ रही अनहैल्दी फूड हैबिट की वजह से मोटापा उन्हें जकड़ रहा है, जो गंभीर बीमारियों की वजह है। जी हां स्कूलों में पढऩे वाले 30 फीसदी बच्चे मोटापे की चपेट में हैं। यहां तक कि मोटापे के कारण ही कई बच्चे अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाते हैं।

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अनहैल्दी फूड है मुख्य कारण 
दिल्ली के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों पर पिछले दिनों इस संबंधी की गई एक स्टडी में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। स्टडी की जारी रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि 30 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। खाने-पीने की गलत आदत की वजह बच्चों में बढ़ रहे मोटापे की जड़ है। यही नहीं स्कूलों की कैंटीनों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले फूड प्रोडैक्ट्स बेचे जा रहे हैं। 
दिल्ली के गंगाराम अस्पताल की डा. ललिता भल्ला व उनकी टीम द्वारा की गई इस स्टडी के आधार पर डाक्टरों की मानें तो मधुमेह के मरीजों में 10 प्रतिशत बच्चे 10 से 18 वर्ष आयु/वर्ग के पाए गए हैं।

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1078 बच्चों पर किया गया शोध
रिपोर्ट को देखें तो इससे हमारे मासूम बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। शोध वर्ष 2010 से अगस्त 2018 तक 1078 बच्चों पर किया गया था। शोध के दौरान डाक्टरों को यह भी देखने को मिला कि कई स्कूल अपने बच्चों को अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों से अवगत नहीं थे। स्कूल कैंटीन उच्च कैलोरी पेय और ट्रांस वसा से अस्वास्थ्यकर तेलों से पके स्नैक्स दे रहे थे।

युवावस्था में मधुमेह व हाई ब्लड प्रैशर का खतरा
शोध के दौरान 23 फीसदी रोगी बचपन या किशोरावस्था में मोटापे से ग्रस्त थे, जिसके बाद वे मधुमेह, हाई ब्लड प्रैशर, नींद की बीमारियां व बांझपन जैसी परेशानियों का शिकार हुए। रिपोर्ट में बताया गया कि 8 वर्षों में 123 बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए आप्रेशन किए गए हैं, जिनकी उम्र 15 से 21 वर्ष के बीच थी। आप्रेशन के बाद जब इन रोगियों की समीक्षा की गई तो 1 वर्ष में इनका वजन 81 फीसदी तक कम पाया गया।

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