15 साल की उम्र में किया कमाल, बनाया सोशल सर्च इंजन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 11:15 AM

made amazing  made social search engine at the age of 15

अभिक को पहला स्मार्टफोन 13 साल की उम्र में मिला था। अभिक जब अपने क्लियर 7 नाम के एंटीवायरस को स्कूल लैब में टेस्ट कर रहे थे तो 19 कम्प्यूटर एक साथ क्रैश हो गए। फिर स्कूल के स्टाफ और दोस्तों ने अभिक बहुत मजाक उड़ाया। लेकिन...

नई दिल्ली :  अभिक को पहला स्मार्टफोन 13 साल की उम्र में मिला था। अभिक जब अपने क्लियर 7 नाम के एंटीवायरस को स्कूल लैब में टेस्ट कर रहे थे तो 19 कम्प्यूटर एक साथ क्रैश हो गए। फिर स्कूल के स्टाफ और दोस्तों ने अभिक बहुत मजाक उड़ाया। लेकिन चौथी बार में उन्होंने एंटीवायरस का सफल परीक्षण किया। इसी सोच के साथ ऑरिगन की शुुरुआत हुई। ऑरिगन, दुनिया के पहले सोशल सर्च इंजन के रूप में खड़ा हुआ है, जो सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के विशुद्ध स्वरूप को शामिल करने के बजाए दुनिया भर के लोगों के सुझाए हुए शीर्ष परिणामों को प्रदर्शित करता है। 

आसान नहीं थी शुरुआत
पश्चिम बंगाल के चालसा में रहने वाले 15 वर्षीय अभिक साहा ने हाल ही में दसवीं की बोर्ड परीक्षा पास की है। सिर्फ ऑरिगन नहीं अभिक ने इसके अलावा 8 मोबाइल एप्स भी तैयार किए हैं, जो वेबसाइट के निर्माण से लेकर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और लैंग्वेज के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण सेवाएं प्रदान करते हैं। अभिक का ध्यान इस ओर तब गया जब वह एक दिन स्कूल में वेब डिजाइनिंग के सिद्धांतों की पढ़ाई कर रहे थे। हालांकि इसकी शुरुआत मुश्किल रही। विषय में रुचि होने के बावजूद अभिक साहा कम्प्यूूटर साइंस के यूनिट टेस्ट में फेल हो गए थे। शुरुआत में लॉजिकल रीजनिंग के साथ संघर्ष होने के बाद भी युवा मन में प्रोग्रामिंग, दृढ़ संकल्प और सीखने की इच्छाशक्ति ने अभिक को आगे बढ़ाया। अभिक बताते हैं कि साल 2014-15 के बीच आए अप्रत्याशित बदलावों ने उनके सोचने का तरीका बदल दिया, जिससे उनकी प्रोग्रामिंग क्षमता और उनके विकसित करने के तरीकों में नए प्रयोग करने की इच्छाशक्ति पैदा हुई और यही वह कारण है, जिसकी वजह से वह आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स से ली मदद
13 साल की उम्र तक आते-आते अभिक साहा ने इंटरनेट पर उपलब्ध ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स की मदद से सामान्य सॉफ्टेवयर्स जैसे कि एंटीवायरस, फायरवॉल सिस्टम और वेबसाइट ब्लॉकिंग सिस्टम आदि को तैयार करना सीख लिया था। एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म से जान पहचान होने के बाद अभिक अलग-अलग मोबाइल एप्स बनाते चले गए और एक अपंजीकृत आईटी कंपनी के साथ काम करते हुए विभिन्न सॉफ्टवेयर और वेबसाइट बनाने के समाधानों को उपलब्ध कराने के लिए मेहनत करते रहे।

गूगल जैसी लोकप्रियता पाना मकसद
सर्च इंजन ऑरिगन बनाने का ख्याल उस वक्त आया, जब अभिक अपनी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, लिनो को विकसित करने के लिए प्रयास कर रहे थे। लिनो को तैयार करने के लिए अभिक अपने सवालों के जवाब इंटरनेट पर ही ढूंढ़ रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्हें असंगत जवाबों के साथ ही कई स्पैम का सामना करना पड़ रहा था। तब उन्हें महसूस हुआ कि एक ऐसा सर्च इंजन होना चाहिए जो कि यूजर्स को इन समस्याओं से निजात दिला सके।  अभिक ने बताया कि उनका लक्ष्य एक ऐसा सर्च बनाने का था, जो स्पैम और बेमतलब की सामग्री को कम करे या निकाल दे। साथ ही छोटी वेबसाइट्स से अच्छी सामग्री खोजे। इनकॉर्पोरेटिंग ह्यूमन रैंकिंग सिग्नल्स की सहायता से अभिक ने समझा कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स कैसे काम करती हैं और इस दिशा में काम करते हुए ही ऑरिगन का निर्माण हुआ। अभिक कहते हैं कि वह गूगल जितनी लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं। वह ऑरिगन को देश का सबसे उम्दा और लोकप्रिय सर्च इंजन बनाना चाहते हैं। उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब उनकी वेबसाइट्स को एक दिन में 10 मिलियन हिट्स मिलेंगे।

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