Edited By Yaspal,Updated: 15 Oct, 2018 07:46 PM
मोदी सरकार अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों के M-Phil और PHD कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए बड़ा बदलाव करने जा रही है...
एजुकेशन डेस्कः मोदी सरकार अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों के M-Phil और PHD कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के एम. फिल और पीएचडी कोर्स में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों को इंटरव्यू पैनल की दया याचिका पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान (UGC) के एक नियम में बदलाव करने वाली है। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार "एम.फिल/पीएचडी डिग्री की न्यूनतम मानक प्रक्रिया नियामक 2018" में दूसरा सुधार करने वाली है। इस नियम के तहत प्रवेश परीक्षा में छात्र को 70 फीसदी अंकर मिलेंगे, जबकि बाकी के 30 फीसदी अंक इंटरव्यू में मिलेंगे। मौजूदा व्यवस्था में लिखित परीक्षा से अभ्यर्थी सिर्फ इंटरव्यू के लिए ही योग्य हो पाता है। बाद में इंटरव्यू से ही विद्यार्थी को एम. फिल और पीएचडी कोर्ट में दाखिला देने या देने का फैसला किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस सुधार को मंजूरी दे दी है और ये इसी हफ्ते जारी हो सकता है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब एम.फिल और पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में लिखित परीक्षा के लिए 70 फीसदी, जबकि इंटरव्यू में सिर्फ 30 फीसदी अंक ही विद्यार्थी को मिलेंगे। सभी विश्वविद्यालयों को जल्द ही इस बारे में सूचित कर दिया जाएगा।
दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी समेत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने साल 2017 में ये नियम लागू किया था। नियम के मुताबिक, साल 2016 में यूजीसी के नियम के तहत एम.फिल और पीएचडी में दाखिला लेने वाले सभी स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य होगा कि वे इंटरव्यू में 50 फीसदी अंक हासिल करें।