पूर्व छात्र का प्रवेश पत्र रोका, अब देना पड़ेगा 75,000 रुपये का मुआवजा

Edited By Riya bawa,Updated: 04 Jun, 2019 03:28 PM

ncdrc directs delhi school to pay compensation of rs 75000 to former student

उपभोक्ता मामलों के शीर्ष ...

नई दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के शीर्ष आयोग ने दिल्ली के एक स्कूल को अपने पूर्व छात्र का प्रवेश पत्र रोक कर उसे मानसिक यातना देने के लिए 75,000 रुपये का मुआवजा देने को कहा है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने छात्र को मुआवजा देने के राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखा लेकिन बाल मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, विकास मार्ग की मान्यता रद्द करने के निर्देश को खारिज कर दिया। 

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आयोग ने वहां पढ़ रहे अन्य छात्रों के हित को देखते हुए यह आदेश दिया। आयोग के अध्यक्ष सदस्य सी विश्वनाथ ने कहा, च्च्राज्य आयोग ने मुकदमे के शुल्क सहित, छात्र को मिली मानसिक यातना एवं उसके उत्पीडऩ के लिए उसे 75,000 रुपये का बिलकुल सही मुआवजा तय किया है। राज्य आयोग का आदेश इस संबंध में बरकरार रखा जाता है।’’ 

वहीं आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता के स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरु किए जाने के संबंध में राज्य के निर्देश को यह देखते हुए रद्द किया जाता है कि वहां कई अन्य छात्र भी पढ़ रहे हैं जिन्हें इस फैसले से अपूरणीय क्षति होगी। इन छात्रों के व्यापक हित को देखते हुए, स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्देश खारिज किया जाता है। आकाश अग्रवाल को 2009 में बोर्ड परीक्षा देनी थी। उसे खराब सेहत की वजह से कुछ क्लास छोडऩी पड़ी और स्कूल ने उसे प्रवेश पत्र नहीं जारी किया था। बाद में दीवानी अदालत का रुख करने पर उसे प्रवेश पत्र जारी किया गया। उसने अपनी शिकायत में कहा कि प्रवेश पत्र देर से मिलने के कारण वह मानसिक रूप से परेशान हो गया था जिसकी वजह से उसे परीक्षा में कम अंक मिले और वह अच्छे कॉलेज में प्रवेश नहीं ले पाया। 

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