तकनीकी कालेजों के बाद अब डिगरी कालेजों में कम हुई विद्यार्थियों की संख्या

Edited By Sonia Goswami,Updated: 06 Aug, 2018 11:35 AM

number of students reduced in postgraduate colleges after technical colleges

पंजाब में तकनीकी संस्थाओं के बाद अब डिगरी कालेजों में विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है। पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र के पांच सरकारी कालेजों को तो बीमार ऐलान करने की नौबत आ गई है।

चंडीगढ़ः पंजाब में तकनीकी संस्थाओं के बाद अब डिगरी कालेजों में विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है। पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र के पांच सरकारी कालेजों को तो बीमार ऐलान करने की नौबत आ गई है। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के अंतर्गत मुफ़्त विद्या और जून 2017 में कैप्टन अमरेंद्र सिंह की तरफ से लड़कियों के लिए पीएच.डी तक की पढ़ाई मुफ़्त करने के विधानसभा में किए ऐलान ठुस होकर रह गए। जहां प्राईवेट कालेजों की मोटी फीसें गरीब विद्यार्थियों की पहुंच से दूर हैं, वहीं सरकारी कालेज भी विद्यार्थियों की जेबों से चल रहे हैं। आर्थिक संकट में से गुजर रहे पंजाब के किसानों और मजदूरों के बच्चे उच्च विद्या प्राप्त करने की स्थिति में नहीं हैं। छोटे कालेजों में विद्यार्थियों की कमी कारण पीटीए फंड की कमी कारण पद नहीं भरे जा रहे।

 


पंजाब में सरकारी और प्राईवेट (कुल 618) कालेजों में से 49 सरकारी कालेजों में बी.ए.भाग पहला, बीएड से एम.ए. तक की क्लासों में 2013 -14 दौरान 85 हजार विद्यार्थी दाखिल हुए थे। 2017 -18 दौरान विद्यार्थियों की संख्या  73421 रह गई। यह उस समय हो रहा है जब तकनीकी संस्थाओं की तरफ लगी दौड़ भी खत्म हो गई है। चालू शैक्षिक वर्ष के आंकड़े अभी सामने आने हैं। विद्यार्थियों की कमी कारण यूनिवर्सिटियों को लगातार दाखिलें की तरीकें आगे करनी पड़ रही हैं। उच्च विद्या से सम्बन्धित एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि नौजवानों में विदेश जाने का रुझान बढ़ने कारण कालेजों में संख्या कम हो रही है।

 

पंजाब के सरकारी कालेजों में कुल 1873 प्रोफेसरों के पद हैं। यह पद 1996 से पहले के हैं। इन में से जून 2018 तक 512 ही रेगुलर प्रोफैसर हैं। प्रिंसीपल समेत इन में से भी 90 अकस्टैंशन पर चल रहे हैं, भाव जल्दी सेवामुक्त होने वाले हैं। अब तक 1361 पद गेस्ट फेकल्टी के तौर पर या पार्ट टाईम के तौर पर भर कर काम चलाया जा रहा है। 900 पद गेस्ट फेकल्टी वालों की है, जिन्हें 21600 रुपए वेतन में से दस हज़ार रुपए रूसा के फंड में से और 11600 रुपए माता-पिता अध्यापक एसोसिएशन (पीटीए) फंड में से दिया जाता है। छुट्टियों के महीने मई और जून में पूरी तनख़्वाह सरकार की तरफ से दी जाती है। इसी कारण विद्यार्थियों पर पीटीए फंड का बोझ लगातार बढ़ रहा है। 

 

जानकारी अनुसार कालेजों में 1800 से 5 हज़ार रुपए तक पीटीए फंड वसूला जा रहा है। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की फीस माफी केंद्र और राज सरकार के ऐलान के बावजूद पीटीए हर एक पर लागू है। डीपीआई कालेजों की तरफ से 26 जुलाई 2018 को जारी पत्र अनुसार पीटीए अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों से भी वसूला जाएगा। ऐसे हालात में बहुत सी विद्यार्थी दाखिला फार्म भर कर भी फिस न भर सकें करके दाखिले से रह जाते हैं। आनलाईन दाखिले के साथ भी ग्रामीण विद्यार्थियों पर पैसे का बोझ भी पड़ा और समय सिर कौंसलिंग की जानकारी न होने के कारण एक हिस्सा दाखिलों से खाली रह जाता है। हजारों रुपए के पीटीए वसूली के बावजूद विद्या मुफ़्त कैसे हुई? इस सवाल का जवाब सरकारी स्तर पर अभी कोई देने के लिए तैयार नहीं है।

 

गवर्नमैंट कालेज गेस्ट फेकल्टी लेक्चरर यूनियन पंजाब के प्रधान हरमिन्दर सिंह उर्फ डिम्पल ने कहा कि सालाना सिर्फ़ 12 करोड़ रुपए सरकार की तरफ से देने से विद्यार्थियों का बोझ घटाया जा सकता है, हालांकि गेस्ट फेकल्टी लेक्चरर रेगुलर वाले सभी काम करते हैं, परन्तु तनख़्वाह में बड़ा फर्क होना बेइन्साफ़ी है। पीटीए फंड घटने साथ पद खत्म हो रही हैं, हाल ही में डेराबसी, संगरूर और टांडा कालेजों में एक एक पद खत्म किया जा चुका है। सहायक डीपीआई (कालेजों) डा. गुरशरन सिंह बराड़ ने कहा कि लंबे समय से फ़ीसों में विस्तार नहीं हुए।  

 

पंजाब सरकारी कालेज अध्यापक यूनियन के प्रधान बरजिन्दर सिंह टौहड़ा ने कहा कि जत्थेबंदी ने सरकार को कई बार अपील की है कि रवि सिद्धू केस वाले पद छोड़ कर बाकी तो भरे जा सकते हैं। पंजाब सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सरकार पद भरने की मंज़ूरी लेने की कोशिश कर रही है। 

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