‘आज की शिक्षा व्यवस्था छात्र को बाजारी सामग्री के तौर पर देखती है’

Edited By pooja,Updated: 22 Dec, 2018 01:09 PM

todays education sees student as a marketable material

राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हर नामुमकिन कोशिश कर रहा है।

नई दिल्ली: राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हर नामुमकिन कोशिश कर रहा है। पिछले चार सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में सीखने को लेकर आत्मनिर्भरता बढ़ी है। उक्त बातें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय एदुकार्निवाल 18 में मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोयिदया ने कही। 

 

आईआईटी दिल्ली में एदुकार्निवाल 18 का मुख्य उद्देश्य भारतीय स्कूलिंग व्यवस्था को विश्व पटल पर बेहतर बनाने व उसकी राह निर्माण करना है। अध्यापक तथा प्रधानाचार्य को बेहतर स्कूली शिक्षा व्यवस्था बनाने का परीक्षण देने के लिए विशेष तरह के कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जा रहा है। प्रति वर्ष की तरह इस बार भी देश भर से स्कूल अध्यापक, प्रिंसिपल और स्कूल मालिकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में शिक्षा को  लेकर दिल्ली सरकार की नीतियों के बारे में बताते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य के पद को स्वायत्त बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

 

 मौजूदा भारतीय शिक्षा व्यवस्था की बात करते हुए मनीष सिसोदिया कहते है कि आज की शिक्षा व्यवस्था छात्र को सिर्फ एक बाजारी सामग्री के तौर पर ही देखती है तथा उसी रूप में छात्र को परीक्षण देती है। जिस कारण किसी भी छात्र का सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। इसी राह में मनीष सिसोदिया आगे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस तथा एंटरप्रेन्योरशिप करिकुलम की भी बात करते है। इस तरह के नए प्रयोगों से न केवल छात्र का मानसिक तनाव कम होगा बल्कि उसमें एक नैतिक जिम्मेदारी का भी विकास होगा। 

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