Updated: 07 Aug, 2024 09:44 AM
फिल्म ‘किल’ के बाद से राघव जुयाल अब जी5 की नई वैब सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' को लेकर लाइमलाइट में हैं।
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फिल्म ‘किल’ के बाद से राघव जुयाल अब जी5 की नई वैब सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' को लेकर लाइमलाइट में हैं। बीते दिनों इसका ट्रेलर रिलीज किया गया था, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है। ट्रेलर में राघव जुयाल और कृतिका कामरा पुलिस अधिकारी की भूमिका में 15 साल पुराने हत्या के मामले सुलझाते नजर आएंगे। इस सीरीज को उमेश बिष्ट ने निर्देशन किया है। राघव जुयाल के अलावा इसमें धैर्य करवा और कृतिका कामरा भी नजर आएंगे। 'ग्यारह ग्यारह' सीरीज के बारे में स्टारकास्ट ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
एक बार शो देखने बैठ गए तो पूरा देखकर ही उठेंगे: कृतिका कामरा
Q ‘ग्यारह ग्यारह’ से ऑडियंस के प्यार की आपको कितनी उम्मीद है?
-ग्यारह ग्यारह मूवी में फिर से कुछ अलग करने की कोशिश की है। मैं जानती हूं कि हर बार यह कहा जाता है कि कुछ अलग करने की कोशिश की गई है, लेकिन सच में लोग देखें और बताएं कि उन्हें सच में कुछ अलग लगा, क्योंकि ट्रेलर से हमें भी ऐसा ही रिस्पॉन्स आया है। बस यही उम्मीद है कि 9 अगस्त को लोग शो देखें। एक बार शो देखने बैठ गए तो शो खुद ही अपना काम कर देगा और यह सबको पसंद आएगा।
Q एक तरफ जहां इतना कंटैंट बन रहा है, ऐसे में अपनी ऑडियंस को सरप्राइज करना कितना चुनौतीपूर्ण है?
-मैं खुद को चुनौती देती हूं। हम रोज यह सोचकर सैट पर नहीं जा सकते कि आज मैं इसे कर के दिखा दूंगी क्योंकि अगर आप सचमुच एक्टिंग करना चाहते हैं तो यह बिल्कुल गलत तरीका है। आप पब्लिक को धोखा दे रहे हैं, ऑडियंस को विश्वास दिलाने में। ऐसे नहीं हो पाता है। जब आप एक च्वाइस लेते हैं कि हां, मुझे यह करना है तो वहां पर कैलकुलेशन खत्म हो जाती है। मैं इसी में विश्वास करती हूं और मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोचती।
मेरी परफॉर्मैंस काफी सरप्राइजिंग रही : राघव जुयाल
Q ‘किल’ की सफलता के बाद राघव की जिंदगी कितनी बदली है?
-मुझे लगता है कि लोगों का नजरिया बदला है। अचानक से फॉलोअर्स बढ़ने शुरू हो गए हैं। साऊथ के लोग ज्यादा फॉलो करने लगे हैं। कहते हैं कि क्या एक्टर है। किसी ने उम्मीद नहीं की थी, क्योंकि मेरी परफॉर्मैंस काफी सरप्राइजिंग रही। मेरे केस में सरप्राइज एलिमैंट्स ने बहुत काम किया है। ऑडियंस अचानक से बदल गई है। इंडस्ट्री में प्रोड्यूसर्स का नजरिया बदल गया है। मेरे लिए कुछ चीजें बदली हैं और वह शायद ज्यादा जरूरी है।
Q आपने अपनी ही लाइन में जब शिफ्ट किया तो कितना चुनौतीपूर्ण रहा यह विश्वास दिलाना कि आप हर काम में बैस्ट हैं?
-मैंने डांस को बहुत एंजॉय किया है, होस्टिंग को एंजॉय किया है। मैं हर चीज के लिए जुनूनी था। जब अब मैं एक्टिंग कर रहा हूं, मैं गलती करता हूं, तो मैं उसे एंजॉय करता हूं और उनसे सीखता हूं। शुरूआत में मेरे साथ अच्छी चीज यह हुई कि मुझ पर बोझ नहीं था। बिना दबाव के एक्टिंग सीखने को मिली। अगर कोई यह सोचकर आ रहा है कि मैं पहले से ही लोकप्रिय हूं, चलो एक्टिंग कर लेते हैं तो वह नहीं कर पाएगा।
Q इस इंडस्ट्री में टिके रहने का फॉर्मूला क्या है?
-मेरी जिंदगी में जिस फॉर्मूले ने काम किया है, वह है कि जो भी काम मैं करता हूं, उसे बड़ी ईमानदारी से करूं। किस्मत, तकदीर जो भी हो, सही समय पर हो लेकिन उस सही समय के लिए आपका हथौड़ा गर्म होना चाहिए। मैंने अनुभव किया है कि जब आपके पास कोई काम नहीं है तो आप उसका इस्तेमाल करें। क्राफ्ट में कुछ नया सीखें ना कि आप लोगों के लिए नकारात्मक रहें।
स्क्रीनप्ले को तोड़ना और खुद समझ लेना महत्वपूर्ण : उमेश बिष्ट
Q आप अपने आप को कैसे डिस्क्राइब करेंगे? क्या आप अभिनेताओं से भी फीडबैक लेते हैं?
-अभिनेताओं के साथ अकेले बैठकर स्क्रीनप्ले को तोड़ना और खुद समझ लेना महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, उनका दृष्टिकोण जानना चाहिए क्योंकि यदि मैंने अपना विजन पहले ही साझा कर दिया तो उनकी रचनात्मकता और कल्पना दब जाएगी। लेकिन मैं जानता हूं कि मुझे क्या चाहिए, इसलिए मैं उनकी बात सुनता हूं। इसके बाद नए-नए विचार मिलते हैं, जिन्हें एक साथ करने में मजा आता है। ‘ग्यारह ग्यारह’ में सभी अभिनेता बिल्कुल अलग हैं और सबका तरीका अलग है। ये तीनों अलग-अलग तरीकों से अपनी तैयारी करते हैं।
मैंने सभी निर्देशकों से सीखा है : धैर्य करवा
Q आपने सभी बड़े प्रोड्यूसर्स के साथ काम किया है तो आपको क्या सीखने को मिला?
-ग्यारह ग्यारह से पहले जो भी चार फिल्में रही हैं, मेरे लिए वह अनुभव जरूरी था। मैंने सभी निर्देशकों से सीखा है। हर किसी के पास अपना अलग दिमाग होता है और सबसे अलग-अलग सीखने को मिला है। आदित्य सर का विजन बिल्कुल स्पष्ट होता है, उन्हें क्लैरिटी है कि दर्शकों को क्या पसंद आएगा और कैसे रिएक्ट करेगी। ऐसा ही कबीर सर के साथ भी है। मैंने बहुत कुछ सीखा है। निखिल सर और अपूर्वा के साथ भी यही है, उनके पास भी काफी स्पष्टता है। अभिनेता एक अच्छी टीम पर निर्भर होते हैं। निर्देशक सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वही सबसे अच्छा करवा सकता है।
Q आपके लिए प्रोडक्शन हाऊस कितना महत्वपूर्ण है? आप अपना प्रोजैक्ट कैसे चुनते हैं?
-अगर रेट करना पड़े तो सबसे पहले स्क्रिप्ट में रोल देखूंगा कि स्टोरी क्या है। एक सॉलिड प्रोड्यूसर होना एक बड़ा फैक्टर है। मान लीजिए, आपने अच्छी चीज बना ली और वह घर पर पड़ी है, फिर उसका क्या फायदा? यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।