Edited By Tanuja,Updated: 01 May, 2024 12:35 PM
चीन में कोविड-19 वायरस के अनुक्रमण से जुड़ी जानकारी सबसे पहले प्रकाशित करने वाले वैज्ञानिक को कई दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद अपनी...
बीजिंगः चीन में कोविड-19 वायरस के अनुक्रमण से जुड़ी जानकारी सबसे पहले प्रकाशित करने वाले वैज्ञानिक के खिलाफ एक्शन के बाद उसे कई दिन विरोध प्रदर्शन करना पड़ा जिसके बाद उसे अपनी प्रयोगशाला में वापस जाने की अनुमति दे दी गई है। वैज्ञानिक झांग योंगझेन ने बुधवार को सोशल मीडिया में अपने पोस्ट में लिखा कि अधिकारी उन्हें और उनकी टीम को प्रयोगशाला में जाने देने और शोध जारी रखने पर ‘‘अस्थाई रूप से सहमत'' हो गए हैं। झांग और उनकी टीम को अचानक प्रयोगशाला छोड़ने को कहा गया था। झांग योंगझेन को अपनी प्रयोगशाला से बाहर निकाले जाने के बाद धरने पर बैठना पड़ा था।
वैज्ञानिक ने एक ऑनलाइन पोस्ट में लिखा कि उन्हें तथा उनकी टीम को अचानक पता चला कि उन्हें उनकी प्रयोगशाला से बाहर निकाला जा रहा है। झांग ने सबसे पहले जनवरी 2020 की शुरुआत में कोविड-19 के वायरस का अनुक्रम प्रकाशित किया था। उन्हें प्रयोगशाला से बाहर निकालने का कदम दिखाता है कि चीन की सरकार किस तरह वैज्ञानिकों पर नियंत्रण रख रही है ताकि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से निपटने के उसके तरीके की समीक्षा न हो सके। झांग ने चीनी सोशल मीडिया मंच ‘वीबो’ पर यह पोस्ट लिखा था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया। झांग प्रयोगशाला से निकाले जाने के बाद विरोध स्वरूप उसके बाहर बैठ गए थे।
वह सप्ताहांत से अपनी प्रयोगशाला के बाहर धरना दे रहे थे। यह घटनाक्रम कोरोना वायरस पर अनुसंधान कर रहे वैज्ञानिकों पर बीजिंग के बढ़ते दबाव का संकेत देता है। ‘शंघाई पब्लिक हेल्थ क्लिनिकल सेंटर' ने पहले कहा था कि झांग की प्रयोगशाला का नवीनीकरण किया जा रहा है और सुरक्षा कारणों से इसे बंद किया गया है लेकिन झांग ने कहा कि उनकी टीम को कोई विकल्प नहीं दिया गया और नई प्रयोगशाला अनुसंधान के लिए सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है। झांग से जुड़ी यह घटना यह दिखाती है कि चीन कैसे वायरस से जुड़ी जानकारियों को नियंत्रित कर रहा है।
‘एसोसिएटेड प्रेस' की जांच में पाया गया कि सरकार ने कोरोना वायरस फैलने के शुरुआती दिनों से ही इसके बारे में पता लगाने संबंधी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को रोका था। यह सिलसिला अब भी जारी है, प्रयोगशालाएं बंद हैं, विदेशी वैज्ञानिकों को देश से जाने के लिए कहा गया और चीनी अनुसंधानकर्ताओं के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई है।