Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Apr, 2018 06:41 PM
जलवायु परिवर्तन से मौसम में होने वाले आमूल-चूल बदलाव से भारत समेत दुनिया के बहुत से देशों में खाद्यान की कमी का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। विश्व के 122 देशों से प्राप्त आंकड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है।ब्रिटेन के एक्जेटर विश्वविद्यालय के...
लंदन: जलवायु परिवर्तन से मौसम में होने वाले आमूल-चूल बदलाव से भारत समेत दुनिया के बहुत से देशों में खाद्यान की कमी का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। विश्व के 122 देशों से प्राप्त आंकड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है।
ब्रिटेन के एक्जेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस बात का परीक्षण किया कि कैसे जलवायु परिवर्तन विभिन्न देशों में खाद्य असुरक्षा के खतरे को और बढ़ा सकता है। पत्रिका ‘फिलोस्पिकल ट्रांजैक्शन ऑफ द रायल सोसाइटी ए’ में प्रकाशित इस अध्ययन की रपट में एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमरीका के 122 विकासशील तथा कम-विकसित देशों पर गौर किया गया है। एक्जेटर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड बेट्स ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन से भारी बारिश तथा सूखे के रूप में मौसम का मिजाज काफी बिगड़ सकता है। इसका दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।’
बेट््स ने कहा, ‘मौसम में बदलाव से खाद्य असुरक्षा और बढ़ सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ बदलाव दिख रहे हैं और इसे बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित किया जाता है, 76 प्रतिशत विकासशील देशों में इसका प्रभाव तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से होने वाले नुकसान के मुकाबले अपेक्षाकृत काफी कम होने की संभावना है।
तापमान में वृद्धि से औसतन नमी की स्थिति बढ़ेगी। बाढ़ से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखे से भी कृषि प्रभावित होगी। बाढ़ वाली स्थिति का सर्वाधिक प्रभाव दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पडऩे की आशंका है। वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गंगा में प्रवाह दोगुने से अधिक हो सकता है।
अध्ययन के अनुसार कुछ क्षेत्रों खासकर भारत और बांग्लादेश में बाढ़ प्रकोप की अवधि चार दिन या उससे अधिक बढ़ेगी। यह प्रभाव कुछ हद तक सभी संबंधित देशों पर पड़ेगा। शोध के अनुसार दक्षिणी अफ्रीका तथा तथा दक्षिण अमरीका के देशों के सूखे से प्रभावित होने की आशंका है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में जलवायु परिवर्तन से मौसम में बदलाव और उसका खाद्यान की उपलब्धता और खाद्य असुरक्षा पर पडऩे वाले प्रभाव का आकलन किया है।