पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश की बर्खास्तगी को अवैध करार दिया

Edited By Radhika,Updated: 22 Mar, 2024 05:59 PM

supreme court of pakistan declared the dismissal of former judge illegal

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के खिलाफ भाषण देने के लिए कई साल पहले उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की बर्खास्तगी को शुक्रवार को अवैध घोषित कर दिया।

इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के खिलाफ भाषण देने के लिए कई साल पहले उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की बर्खास्तगी को शुक्रवार को अवैध घोषित कर दिया। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शौकत अजीज सिद्दीकी को रावलपिंडी बार एसोसिएशन में दिए गए भाषण के लिए 11 अक्टूबर, 2018 को सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।

न्यायिक परिषद उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत शीर्ष निकाय है। सिद्दीकी ने अपने संबोधन में आईएसआई पर अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने और पसंदीदा पीठ बनाने का आरोप लगाया था। बर्खास्त न्यायाधीश ने अपनी बर्खास्तगी को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिस पर कई वर्षों के बाद सुनवाई शुरू हुई। प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की, जिसका सीधा प्रसारण किया गया।

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पीठ में न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान, न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल, न्यायमूर्ति हसन अजहर रिजवी और न्यायमूर्ति इरफान सआदत शामिल रहे। पीठ ने 23 जनवरी को सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने फैसला सुनाया कि सिद्दीकी को हटाया जाना अवैध था और उन्हें इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश माना जाएगा और वह पूर्व न्यायाधीश को मिलने वाले सभी तरह के लाभ के हकदार होंगे। सुनवाई समाप्त होने से एक दिन पहले आईएसआई के पूर्व महानिदेशक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने न्यायमूर्ति सिद्दीकी की याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज की हिरासत को लंबे समय तक बढ़ाने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की पीठ के गठन में अपनी भागीदारी के आरोपों को खारिज कर दिया। आईएसआई के पूर्व महानिदेशक ने दावा किया कि न्यायमूर्ति सिद्दीकी ने बिना किसी कारण के उन्हें मामले में घसीटा। पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ईसा ने कहा था कि अदालत बिना जांच किए किसी को सजा नहीं सुना सकती। उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी न्यायाधीश को हटाना इतना आसान होता यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है।'' 

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