LIVE: तालिबान की गुहार ! अमेरिका समेत सबके साथ काम करने को हैं तैयार, अब हटा दो प्रतिबंध

Edited By Tanuja,Updated: 15 Sep, 2021 04:24 PM

taliban call for lifting of sanctions against  islamic emirate

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान की खुशी का खुमार सत्ता संभालने के बाद अब उतरता दिखाई दे रहा है। दुनियाभर के प्रतिबंधों से ...

इंटरनेशनल डेस्कः  अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान की खुशी का खुमार सत्ता संभालने के बाद अब उतरता दिखाई दे रहा है।  दुनियाभर के प्रतिबंधों से अब तालिबान की हालत खराब होने लगी है। उसे डर है कि अगर और प्रतिबंध लगे तो फिर  देश की हर तरह से कमर टूट जाएगी। तालिबान ने अमेरिका सहित कई देशों से इस्लामिक अमीरात के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने की गुहार लगाई है। अफगानिस्तान के नए कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी ने इन प्रतिबंधों को हटाने का आह्वान किया है। अफगानिस्तान की खबरों के लिए punjabkesri.in के साथ जुड़े...

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  • एरियाना न्यूज ने बताया कि काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी ने मंगलवार को अफगान प्रवासियों से देश के विकास में मदद करने के लिए स्वदेश लौटने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात अमेरिका सहित सभी देशों के साथ काम करने को तैयार है, मगर यह स्पष्ट करने को कहा कि वे उनपर हुक्म नहीं चलाएंगे। हालांकि, मुत्ताकी ने कहा कि हम अफगानिस्तान पर कोई प्रतिबंध या किसी देश से व्यापार पर रोक लगाने की अनुमति नहीं दे सकते।
     
  • बीते सप्ताह ही तालिबान ने अंतरिम 'इस्लामिक अमीरात' का गठन किया है। तालिबान ने अफगान की नई सरकार में कई ऐसे आतंकियों को जगह दी है, जो यूएन से लेकर अमेरिका की लिस्ट में आतंकी घोषित हो चुके हैं और उन पर बैन लगा हुआ है। तालिबानी कैबिनेट सदस्यों में तालिबान के कई लोग हैं जो संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में शामिल हैं।

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  • तालिबान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की कार्यवाहक सरकार की घोषणा की थी, जिसमें मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री और समूह के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अफगानन का डिप्टी प्रधानमंत्री घोषित किया था। तालिबान द्वारा अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा के बाद, जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी शामिल थे, अमेरिका ने यह कहकर प्रतिक्रिया व्यक्त की कि यूएनएससी तालिबान की मानवाधिकार नीतियों के आधार पर आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के किसी भी निर्णय को आधार बनाएगी।
     
  • अमेरिकी सांसदों ने 9/11 हमले के बाद अफगानिस्तान में पाकिस्तान की दोहरी नीति वाली भूमिका पर जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर पुन: विचार  किया जाना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान के मुख्य गैर-नाटो सहयोगी के दर्जे के बारे पर भी फिर से विचार करने का अनुरोध किया। कांग्रेस सदस्य बिल कीटिंग ने कहा कि इस्लामाबाद ने दशकों से अफगानिस्तान से संबंधित मामलों में नकारात्मक भूमिका निभाई है। ISI के हक्कानी नैटवर्क से मजबूत संबंध हैं।
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  • पिछले महीने अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद 153 अफगान मीडिया संस्थानों पर ताले जड़ दिए हैं। टोलो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया कि इन आऊटलैट्स में रेडियो, प्रिंट और टी.वी चैनल शामिल हैं और उनका बंद होना मुख्य रूप से आर्थिक समस्याओं और प्रतिबंधों के कारण है। अफगानिस्तान फैडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के उप प्रमुख हुजतुल्ला मुजादादी ने कहा कि अगर मीडिया का समर्थन करने वाले संगठन आऊटलैट्स पर ध्यान नहीं देते हैं तो जल्द ही हम देश में शेष आऊटलैट्स भी बंद होते देखेंगे।
     
  • संयुक्त राष्ट्र को बताया गया है कि तालिबान पूर्व सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ प्रतिशोध लेने के लिए हमले कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बोलते हुए मिशेल बाचेलेट ने कहा कि उन्होंने विश्वसनीय रिपोर्ट देखी है कि तालिबान लड़ाके घर-घर जाकर ऐसे व्यक्तियों का पता लगा रहे हैं जिन्होंने पूर्व सरकार या अमरीका की मदद की थी।

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  • संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान में पूरी तरह से आर्थिक पतन की गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने देश में फंड सहायता और कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया। बैठक में  उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान के लोगों को एक जीवन रेखा की जरूरत है। दशकों के युद्ध, पीड़ा और असुरक्षा के बाद, वे शायद अपने सबसे खतरनाक समय का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हमें स्पष्ट होना चाहिए कि यह सम्मेलन केवल इस बारे में नहीं है कि हम अफगानिस्तान के लोगों को क्या देंगे। यह इस बारे में है कि हम पर क्या बकाया है।"

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