आतंकियों के लिए भारी रहा 2018 : 2017 की तुलना में मारे गए ज्यादा आतंकी

Edited By Monika Jamwal,Updated: 25 Dec, 2018 09:27 PM

2018 seems more dangerous for militants

वर्ष 2018 के कुछ ही दिन बचे हैं और पिछले साल की तुलना में इस साल सेना और अन्य सुरक्षाबलों को कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ के तहत बड़ी सफलता मिली है।

श्रीनगर (मजीद) : वर्ष 2018 के कुछ ही दिन बचे हैं और पिछले साल की तुलना में इस साल सेना और अन्य सुरक्षाबलों को कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ के तहत बड़ी सफलता मिली है। इस साल  2017 की तुलना में ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। इस साल 24 दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में 257 आतंकवादी मारे गए हैं। सुरक्षा बलों ने एल.ओ.सी. और उसके नजदीक हुई मुठभेड़ों के अलावा जम्मू-कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में इन आतंकवादियों को मार गिराया। यह आंकड़ा पिछली साल की तुलना में ज्यादा है। वर्ष 2017 में जम्मू-कश्मीर में 213 आतंकवादी मारे गए थे। इस साल 50 से ज्यादा आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि पांच ने आत्मसमर्पण भी किया। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में अब भी करीब 240 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें कुछ विदेशी भी शामिल हैं। PunjabKesari

मारे गये कई आतंकी कमांडर
इस साल सुरक्षा बलों से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अबु मतीन, अबु हमास, समीर अहमद भट्ट उर्फ  समीर टाइगर, सद्दाम पड्डार, अबु कासिम, अबु माविया, मन्नान वानी, मेहराजुद्दीन बांगरू, सब्जार अहमद सोफी, नावेद जट्ट, और जहूर अहमद ठोकार जैसे आतंकवादियों को मार गिराया। हालांकि, हिजबुल के डिवीजनल कमांडर रियाज नाइकु और अंसार गजवत-उल-हिन्द के प्रमुख जाकिर मूसा जैसे खूंखार आतंकियों की सुरक्षा बल सरगर्मी से तलाश कर रहे हंै। इस साल जम्मू.कश्मीर के अलावा कहीं कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। इस लिहाज से साल 2018 देश के लिए सुरक्षित रहा। 

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सुधरे हैं हालात
सूत्रों के मुताबिक भाजपा द्वारा महबूबा मुफ्ती नीत सरकार से समर्थन वापस लेने और 19 जून को राज्य में राज्यपाल शासन लगाए जाने के बाद कश्मीर घाटी की सुरक्षा स्थिति में सुधार आया है। इस साल सुरक्षाबलों ने सुरक्षा के इंतजाम बेहतर करने के लिए कई तरह की नई रणनीतियां बनाईं। इसी रणनीति का नतीजा था कि अमरनाथ यात्रा के दौरान कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई।

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मुख्यधारा में शमिल हुये आतंकी
सुरक्षा बलों ने इस साल एक तरह से नई रणनीति पर काम किया। सेना और पुलिस ने कश्मीर घाटी में सक्रिय में आतंकियों और उनके परिवारवालों से हथियार छोडऩे की अपील की। उनकी अपील का कुछ हद तक असर भी दिखा जब पांच आतंकियों ने हथियार छोडक़र मुख्यधारा में शामिल होने का ऐलान किया।
 

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