छोटा कद, बड़े हौसले: 3 फीट लंबे डॉक्टर गणेश बरैया ने हासिल की MBBS की डिग्री,  बना विश्व का सबसे कम हाइट वाला डॉक्टर

Edited By Anu Malhotra,Updated: 07 Mar, 2024 08:28 AM

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3 फीट के गणेश बरैया भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन में अपनी डिग्री पूरी करने के लिए तैयार हैं। वर्तमान में वह एक trainee है, शुरुआत में उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।

नेशनल डेस्क:   3 फीट के गणेश बरैया भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन में अपनी डिग्री पूरी करने के लिए तैयार हैं। वर्तमान में वह एक trainee है, शुरुआत में उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।

बरैया ने अदालत का दरवाजा खटखटाया
मेडिकल काउंसिल ने उन्हें मेडिसिन में डिग्री हासिल करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन उनकी डॉक्टर बनने की क्षमताओं पर सवाल उठाए थे, क्योंकि उनका कद बहुत छोटा था। उन्होंने 2018 में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन एमसीआई समिति ने उन्हें किसी भी कॉलेज में प्रवेश देने से इनकार कर दिया।

युवक के मुताबिक, समिति के सदस्यों ने उससे कहा था कि उसकी लंबाई कम होने के कारण वह आपातकालीन मामलों को संभाल नहीं पाएगा। आसानी से हार मानने वालों में से नहीं बरैया ने एमसीआई के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया। बता दें कि ऐसा उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल, परिवार के सदस्यों और अन्य शुभचिंतकों से सलाह लेने के बाद किया।

उन्होंने पहले गुजरात उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत ने 2018 में बरैया के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्हें भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने की अनुमति दी गई।

अपने डाॅक्टर बनने के इस सफर को लेकर  बरैया ने कहा कि उन्होंने अगस्त 2019 में कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने हाल ही में अपना कोर्स पूरा किया और अब डॉ गणेश बरैया हैं। वह भावनगर के सर टी जनरल हॉस्पिटल में काम करते हैं।

शिक्षकों ने की बरैया की सराहना
मेडिकल कॉलेज में बरैया के शिक्षक उनकी प्रशंसा से भरे हुए हैं। भावनगर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. हेमंत मेहता ने इस बात पर खुशी जताई कि बरैया ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और अब वह एक प्रतिष्ठित अस्पताल में इंटर्न हैं।

उनके व्यक्तित्व को याद करते हुए मेहता ने कहा कि कॉलेज में रहते हुए बरैया हर परिस्थिति से निकलने का रास्ता खोज लेते थे। उन्होंने बताया कि युवा लड़के ने कॉलेज के शिक्षकों के साथ अपनी समस्याएं साझा कीं और फिर उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की। डीन ने बरैया के सहपाठियों की भी भरपूर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वे ही उनकी सबसे ज्यादा मदद करते थे क्योंकि वे ही लोग थे जो उनके साथ सबसे ज्यादा समय बिताते थे।
 

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