जम्मू-कश्मीर में पिछले 2 सालों में घुसपैठ की 777 घटनाएं, 94 आतंकी ढेर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Mar, 2018 11:13 PM

777 incidents of infiltration in jammu and kashmir in the last 2 years

जम्मू कश्मीर में बीते दो सालों में घुसपैठ की 777 घटनाएं हुईं। घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम बनाने के लिए सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 94 आतंकवादी मारे गए। गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने बुधवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस अवधि...

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में बीते दो सालों में घुसपैठ की 777 घटनाएं हुईं। घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम बनाने के लिए सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 94 आतंकवादी मारे गए। 

गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने बुधवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इस अवधि में पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की 16 घटनाओं में सात आतंकवादी मारे गए और 11 अन्य पकड़े गए। उन्होंने घुसपैठ की घटनाओं का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि साल 2017 में जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की 406 घटनाओं में 59 आतंकवादी मारे गए जबकि साल 2016 में 371 घटनाओं में 35 आतंकवादी मारे गए। 

रिजिजू ने बताया कि घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षाबल के जवान लगातार चौकसी बरत रहे हैं। इसके लिए सुरक्षाबलों को अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों से लैस किया गया है। इसके लिए समग्र समन्वित सीमा प्रबंधन प्रणाली की मदद से सीमाओं की निगरानी करने का फैसला किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर इस प्रणाली से निगरानी शुरु कर दी गई है। एक अन्य सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि साल 2016-17 में जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल की गई पैलेट गन से घायल हुए 17 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई।

अहीर ने बताया कि साल 2016 में 13 और 2017 में चार प्रदर्शनकारियों की पैलेट गन से घायल होने के बाद मौत हुई। इस अवधि में हिंसक प्रदर्शक की घटनाओं में सुरक्षा बल के दो जवान भी मारे गए। अहीर ने बताया कि सरकार ने कश्मीर घाटी में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पैलेट गन और अन्य गैर घातक हथियारों के विकल्पों की तलाश के लिए 26 जुलाई 2016 को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति की सिफारिशों का युक्तिसंगत पालन सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है। 

उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए किए जा रहे तमाम उपायों में पैलैट गन का इस्तेमाल करने से पहले भी मिर्ची पाउडर और आंसू गैस वाले हथगोलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अहीर ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि जम्मू कश्मीर में साल 2015 से 2017 के बीच सुरक्षाबलों के खिलाफ पथराव की 4799 और आतंकवाद की 872 घटनाएं हुईं हैं। उन्होंने बताया कि कश्मीर घाटी में साल 2015 में पथराव की 730 और आतंकवाद की 208, साल 2016 में पथराव की 2808 और आतंकवाद की 322 तथा साल 2017 में पथराव की 1261 एवं पथराव की 342 घटनाएं हुईं। 

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