आधार-वोटर आईडी और PAN नहीं हैं भारतीय नागरिकता के सबूत... और क्या चाहिए सिटीजनशिप साबित करनें के लिए?

Edited By Updated: 13 Aug, 2025 02:18 PM

aadhaar voter id and pan are not proof of indian citizenship

अगर आपके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और यहां तक कि पासपोर्ट भी है, तो जरूरी नहीं कि आप भारतीय नागरिक ही हों। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि ऐसे पहचान पत्रों के आधार पर नागरिकता का दावा नहीं किया जा सकता।

नेशनल डेस्क : अगर आपके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और यहां तक कि पासपोर्ट भी है, तो जरूरी नहीं कि आप भारतीय नागरिक ही हों। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि ऐसे पहचान पत्रों के आधार पर नागरिकता का दावा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ये दस्तावेज केवल पहचान और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए होते हैं, लेकिन भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत निर्धारित नागरिकता की मूल कानूनी आवश्यकता को पूरा नहीं करते।

किस मामले में आया ये फैसला?
यह आदेश ठाणे निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जो खुद को भारतीय नागरिक बता रहा था। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके पास आधार, पैन, पासपोर्ट और वोटर आईडी जैसे सभी दस्तावेज हैं। उसके रिकॉर्ड आयकर, बैंक खातों, उपयोगिताओं और व्यावसायिक पंजीकरण से जुड़े हैं।

हालांकि, पुलिस का आरोप था कि वह व्यक्ति बांग्लादेशी नागरिक है और 2013 से अवैध रूप से ठाणे में रह रहा है। इस पर न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने कहा कि “सिर्फ पहचान पत्रों के आधार पर नागरिकता का दावा नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब किसी पर विदेशी नागरिक होने या जाली दस्तावेज़ इस्तेमाल करने का संदेह हो।”

अब सवाल उठता है: भारत की नागरिकता साबित कैसे करें?
कोर्ट के इस फैसले के बाद यह जानना जरूरी हो गया है कि भारत की नागरिकता साबित करने के लिए कौन से दस्तावेज मान्य हैं और नागरिकता किस आधार पर मिलती है।

नागरिकता साबित करने वाले वैध दस्तावेज:
जन्म प्रमाणपत्र 
जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत जारी यह दस्तावेज नागरिकता का प्राथमिक और वैध प्रमाण माना जाता है।

10वीं या 12वीं की मार्कशीट
कई मामलों में बोर्ड सर्टिफिकेट में उल्लिखित जन्मतिथि और स्थान नागरिकता का समर्थन करते हैं।

डोमिसाइल सर्टिफिकेट 
यह राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है और किसी विशेष राज्य में लंबे समय तक निवास की पुष्टि करता है।

पुराने सरकारी दस्तावेज
जैसे कि भूमि आवंटन पत्र, पेंशन आदेश, या 1987 से पहले के कोई सरकारी रिकॉर्ड, जो भारतीय नागरिकता के दावे को मजबूती देते हैं।

सिर्फ पहचान पत्र काफी नहीं:
आधार, पैन, वोटर आईडी या पासपोर्ट सिर्फ पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए होते हैं। इन पर नागरिकता आधारित कोई वैधानिक अधिकार नहीं बनता, खासकर अगर संदेह की स्थिति हो।

भारत की नागरिकता कैसे मिलती है?
भारतीय नागरिकता चार तरीकों से प्राप्त की जा सकती है:

जन्म के आधार पर

1950 से 1 जुलाई 1987 तक भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय नागरिक माना जाएगा।

1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे व्यक्ति को नागरिकता तभी मिलेगी जब माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो।

3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे व्यक्ति को नागरिकता तभी मिलेगी, जब माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।

वंश के आधार पर
भारत से बाहर जन्मे व्यक्ति को भारतीय नागरिकता मिल सकती है, यदि उसके माता-पिता में से कोई एक जन्म के समय भारतीय नागरिक रहा हो।

पंजीकरण द्वारा
भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो कम से कम 7 साल से भारत में रह रहा हो, या भारतीय नागरिक से विवाह के बाद 7 साल से भारत में रह रहा हो, पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।

देशीयकरण द्वारा 
कोई विदेशी नागरिक जिसने कम से कम 12 साल भारत में निवास किया हो और नागरिकता अधिनियम, 1955 की तीसरी अनुसूची की शर्तें पूरी करता हो, वह देशीयकरण के माध्यम से नागरिकता पा सकता है।

नागरिकता का आवेदन कैसे करें?
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए संबंधित व्यक्ति को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक योग्यताओं को पूरा करते हुए ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से आवेदन करना होता है। इसके लिए जरूरी दस्तावेज और निवास प्रमाण पत्र अनिवार्य होते हैं।

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