सियासी दलों के 'मुफ्त उपहार' मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची आप

Edited By Yaspal,Updated: 09 Aug, 2022 06:04 PM

aap reached the sc in the matter of  free gifts  from political parties

आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘फ्री गिफ्ट’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है। आप ने अपनी याचिका में कहा कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली और मुफ्त परिवहन जैसे...

नेशनल डेस्कः आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘फ्री गिफ्ट’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है। आप ने अपनी याचिका में कहा कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली और मुफ्त परिवहन जैसे चुनाव वादे ‘फ्री गिफ्ट’ नहीं हैं, बल्कि एक असमान समाज के लिए ये बेहद जरूरी है। आप ने दावा किया कि उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्राप्त है, जिसमें रैन बसेरों, मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करके गरीबों के उत्थान के लिए चुनावी भाषण और वादे शामिल हैं।

आप ने कहामुफ्त पानी, मुफ्त बिजली का वादा मुफ्त उपहार नहीं
इस याचिका में कहा गया है- मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली या मुफ्त सार्वजनिक परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त उपहार नहीं हैं, बल्कि एक अधिक न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के उदाहरण हैं। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव अभियानों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार बांटने का वादा एक गंभीर आर्थिक मुद्दा है और कहा कि इसकी जांच के लिए एक निकाय की आवश्यकता है।

आप ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता भाजपा से जुड़ा हुआ है और राष्ट्रीय राजनीति में उसके द्वारा प्रचलित एक विशेष समाजवादी और कल्याणवादी एजेंडे का विरोध करना चाहता है जिससे दलितों और गरीबों की मदद होती है। 

याचिका में कहा- आम जनता की जगह केंद्र ने धनवानों को फायदा पहुंचाया 
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, इस तरह के समाजवादी और कल्याणवादी एजेंडे को चुनावी भाषणों से हटाकर, याचिकाकर्ता लोगों के कल्याण के लिए अपील के बजाय जाति और सांप्रदायिक अपील पर निर्भर अधिक संकीर्ण प्रकार की राजनीति के हितों को आगे बढ़ाना चाहता है। यह आरोप लगाते हुए कि केंद्र ने सरकारी खजाने से महत्वपूर्ण राशि खर्च की है, कॉर्पोरेट क्षेत्र की सहायता की और अमीरों को और समृद्ध किया गया है। राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ मुख्य रूप से समृद्ध लोगों को ही मिला है, बजाय इसके कि आम जनता को इसका फायदा मिलता, जिसे याचिकाकर्ता गलत तरीके से मुफ्त उपहार कहता है। 

आप ने कहा, यदि सुप्रीम कोर्ट को अंततः इस मुद्दे की जांच के लिए एक पैनल का गठन करने का फैसला करना है तो इस पैनल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, वित्त आयोग, चुनाव आयोग और नीति आयोग के प्रतिनिधियों के अलावा सभी राज्य सरकारों, सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के योजना निकायों के प्रतिनिधि भी होने चाहिए। शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें चुनाव चिन्हों को जब्त करने और उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जिन्होंने सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त उपहार बांटने का वादा किया है।  

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