क्या अब अडवानी, जोशी हो सकते हैं राष्ट्रपति प्रत्याशी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 May, 2017 09:02 AM

advani  joshi can be presidential candidate

अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में 30 मई को लखनऊ में सी.बी.आई. की विशेष अदालत द्वारा लालकृष्ण अडवानी, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, नृत्यगोपाल दास सहित 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) के तहत मुकद्दमा चलाने के...

नई दिल्ली: अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में 30 मई को लखनऊ में सी.बी.आई. की विशेष अदालत द्वारा लालकृष्ण अडवानी, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, नृत्यगोपाल दास सहित 12 आरोपियों पर आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) के तहत मुकद्दमा चलाने के फैसले के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या लालकृष्ण अडवानी, डा. मुरली मनोहर जोशी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हो सकते हैं या नहीं?

कानून के मुताबिक तो जब तक किसी भी मामले में न्यायालय से सजा नहीं हो जाती है तब तक कोई अपराधी नहीं है और वह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री सहित सभी संवैधानिक पदों का प्रत्याशी हो सकता है। जिस समय नरेंद्र दामोदरदास मूलचंद मोदी पर गुजरात दंगे का केस चल रहा था उस समय वह मुख्यमंत्री थे और बाद में लोकसभा का चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री भी बने। ऐसे में तो लाल कृष्ण अडवानी और डा. मुरली मनोहर जोशी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकते हैं। ज्यादा संभावना है कि नैतिकता का प्रश्र उठाकर इन दोनों बड़े नेताओं को राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी वे न बनने दें जो अडवानी के पैर छू-छू कर आज सत्ता के पहलवान बने हैं। वे ऐसा शगूफा छेड़ सकते हैं कि नैतिकता तो यह है कि राष्ट्रपति के पद के लिए उस व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया जाना चाहिए जिस पर कोई आपराधिक मुकद्दमा चल रहा हो। इसके लिए कहा जाएगा कि अडवानी व जोशी पर तो तथाकथित विवादित ढांचा गिराए जाने के केस में आपराधिक साजिश (धारा 120) के तहत मुकद्दमा चल रहा है इसलिए उनको प्रत्याशी नहीं बनाया जा सकता। कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल कैसे बन गए, उन पर भी तो विवादित ढांचा विध्वंस मामले में मुकद्दमा चल रहा है?

उपराष्ट्रपति पद की दौड़ से नजमा हुईं बाहर
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए अगले कुछ महीनों में होने जा रहे चुनावों में जिन दावेदारों का नाम चर्चा में है, उनमें से एक नाम नजमा हेपतुल्ला का भी है। उन्हें उपराष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदारों में से एक माना जा रहा था। केंद्र सरकार ने नजमा को सोमवार को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवॢसटी का चांसलर नियुक्त कर उनकी उपराष्ट्रपति पद की दावेदारी लगभग खत्म कर दी। नजमा फिलवक्त मणिपुर की राज्यपाल हैं और अब जामिया के चांसलर एमए जकी की जगह लेंगी। नजमा 1986 से 2012 तक पांच बार राज्यसभा की सदस्य रही हैं।

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