Edited By Anil dev,Updated: 20 Oct, 2020 01:44 PM
केंद्र सरकार की ओर से देश में हाल ही में लागू हुए तीनों कृषि कानूनों को किसान संगठन का डेथ वारंट बताकर जगह- जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं द इंडियन फार्मर्स परसेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज के सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश में हर दूसरा किसान संसद से हाल...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से देश में हाल ही में लागू हुए तीनों कृषि कानूनों को किसान संगठन का डेथ वारंट बताकर जगह- जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं द इंडियन फार्मर्स परसेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज के सर्वे में खुलासा हुआ है कि देश में हर दूसरा किसान संसद से हाल ही में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है, जबकि 35 प्रतिशत किसान इन कानूनों का समर्थन करते हैं। गांव कनेक्शन ने ये सर्वेक्षण 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच देश के 16 राज्यों के 53 जिलों में करवाया था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत किसानों में इस बात का डर है कि नए कृषि कानून लागू होने के बाद खुले बाजार में उनको अपनी फसल कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जबकि 33 प्रतिशत किसानों को डर है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को खत्म कर देगी। दिलचस्प बात है कि इन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले आधे से अधिक (52 प्रतिशत) किसानों में से 36 प्रतिशत को इन कानूनों के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। सर्वेक्षण में पाया गया कि कुल 67 प्रतिशत किसानों को इन तीन कृषि कानूनों के बारे में जानकारी थी। दो-तिहाई किसान देश में चल रहे किसानों के विरोध के बारे में जानते थे। विरोध के बारे में जागरूकता सबसे ज्यादा देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र (91 प्रतिशत) के किसानों में थी, जिसमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल है।
इस सर्वे में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन कृषि कानूनों पर सर्वे में शामिल लगभग 44 प्रतिशत किसानों ने कहा कि मोदी सरकार प्रो-फार्मर (किसान समर्थक) है, जबकि लगभग 28 फीसदी ने कहा कि वो किसान विरोधी हैं। इसके अलावा, सर्वेक्षण के एक अन्य प्रश्न में, 35 प्रतिशत ने किसानों का मानना है कि मोदी का यह फैसला किसानों के लिए अच्छा है जबकि लगभग 20 प्रतिशत ने कहा कि मोदी सरकार निजी कंपनियों के समर्थन में है।