Edited By vasudha,Updated: 30 Jan, 2021 04:55 PM
बजट सत्र पर अपना एजेंडा पेश करने के लिए केंद्र सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बार यह परंपरागत सर्वदलीय बैठक सत्र शुरू होने के बाद आयोजित की जा रही है। दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा)...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि उनकी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने का निरंतर प्रयास कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, संसद में विभिन्न दलों के सदन के नेताओं की डिजिटल बैठक में मोदी ने यह भी कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था वो आज भी बरकरार है।
बैठक में उठे कई मुद्दे
सरकार ने यह सर्वदलीय बैठक बजट सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने और विधायी कार्यों के संदर्भ में चर्चा के मकसद से बुलाई थी। विभिन्न दलों के नेताओं ने इस बैठक में अलग अलग मुद्दे उठाए। सूत्रों के अनुसार मोदी ने नेताओं से कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदर्शनकारी किसानों से सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हैं और तोमर ने इस महीने की शुरुआत में किसान नेताओं को इस बात से अवगत भी कराया था।
बैठक में कई नेता हुए शामिल
बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, शिरोमणि अकाली दल के नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, शिवसेना के विनायक राउत और कई अन्य नेता शामिल हुए। इस बार सर्वदलीय बैठक सत्र शुरू होने के बाद आयोजित की जा रही है। दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ संसद का बजट सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ। आमतौर पर इस तरह की सभी बैठकें संसद के सत्र से पहले होती हैं, ताकि दोनों सदनों की कार्यवाही सुगमता से हो सके। इस वर्चुअल बैठक के दौरान, विपक्षी दलों द्वारा किसान आंदोलन पर चर्चा कराने की मांग किए जाने की संभावना है।
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर डटे हैंं किसान
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले दो महीनों से प्रदर्शनकारी किसान केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए डटे हुए हैं। विपक्षी दलों ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई एक सर्वदलीय बैठक में इसी तरह की मांग की, लेकिन सरकार ने सुझाव दिया कि किसान आंदोलन का मुद्दा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है, जिसके लिए लोकसभा में दो, तीन और चार फरवरी को 10 घंटे का समय आवंटित किया गया है।