Edited By Anu Malhotra,Updated: 29 Jul, 2025 08:18 AM

धार्मिक नगरी मथुरा एक बार फिर साधु-संतों के विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में है। अनिरुद्धाचार्य महाराज के हालिया बयान पर मचे बवाल के बाद अब संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह आधुनिक युवाओं,...
नेशनल डेस्क: धार्मिक नगरी मथुरा एक बार फिर साधु-संतों के विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में है। अनिरुद्धाचार्य महाराज के हालिया बयान पर मचे बवाल के बाद अब संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह आधुनिक युवाओं, खासकर लड़कियों के चरित्र को लेकर तीखी टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं। बयान के सार्वजनिक होते ही धार्मिक जगत दो खेमों में बंट गया है--- कुछ साधु उनके समर्थन में खड़े हैं तो कई संतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी आलोचना की है।
वायरल वीडियो में क्या बोले प्रेमानंद महाराज?
वीडियो में संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं: आज के समय में 100 में से मुश्किल से दो या चार लड़कियां ही पवित्र होती हैं, बाकी सभी ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के जाल में फंसी हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई युवक चार लड़कियों से संबंध रख चुका है, तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रह पाएगा, और जो लड़की चार पुरुषों के साथ रही हो, उसके लिए एक पति को स्वीकार करना कठिन हो जाता है।
समर्थन में उतरे महंत राजू दास
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने प्रेमानंद महाराज के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि "संत समाज का काम समाज को आईना दिखाना है। प्रेमानंद जी ने वही किया है। समाज में बढ़ती अर्धनग्नता और नैतिक गिरावट पर बात करना गलत नहीं है।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इस्लाम में पर्दा स्वीकार्य है, लेकिन हमारे समाज में अब अर्धनग्नता को सामान्य मान लिया गया है।
विरोध में उतरे सरयू आरती के शशिकांत दास
सरयू आरती स्थल के अध्यक्ष शशिकांत दास ने प्रेमानंद महाराज को सलाह देते हुए कहा: उन्हें इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। लाखों लोग उन्हें सुनते हैं, इसलिए ऐसी टिप्पणियां समाज के मानसिक वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रेमानंद महाराज के बयान को लेकर युवाओं में नाराजगी देखी जा रही है। कुछ युवाओं का कहना है कि ऐसे बयानों से लड़कियों के चरित्र पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठते हैं, जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है। वहीं कुछ का कहना है कि आधुनिक समाज में लड़के-लड़कियां साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं, और ऐसी सोच लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देती है।