Edited By Yaspal,Updated: 15 Feb, 2024 06:44 PM
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव करीब आते ही सियासतदानों के पाला बदलने की मुहिम शुरू हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को एक और झटका लगा है। पूर्व मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व नेता मुश्ताक अहमद शाह बुखारी गुरूवार को यहां भारतीय जनता...
नेशनल डेस्कः जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव करीब आते ही सियासतदानों के पाला बदलने की मुहिम शुरू हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को एक और झटका लगा है। पूर्व मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व नेता मुश्ताक अहमद शाह बुखारी गुरूवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बुखारी का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
बुखारी ने पहाड़ी भाषी लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के साथ बहस के बाद फरवरी 2022 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बुखारी पुंछ जिले के सुरनकोट से दो बार विधायक रहे हैं। भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ बुखारी के अलावा पूर्व नौकरशाह जी एम ख्वाजा, सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शब्बीर गिलानी और उनके सैकड़ों समर्थकों का पार्टी में स्वागत किया।
बुखारी ने कहा, ‘‘मैंने उस पार्टी में शामिल होने का अपना वादा निभाया है जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की हमारी लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करेगी। मैं उन पहाड़ियों के साथ न्याय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रैना का आभारी हूं, जिन्होंने एसटी दर्जे के लिए 40 वर्षों तक संघर्ष किया है। ''
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में चार समुदायों - गड्डा ब्राह्मण, कोली, पद्दारी जनजाति और पहाड़ी जातीय समूह को शामिल किया है। इस अवसर पर रैना ने कहा, ‘‘ बुखारी न केवल एक राजनीतिक दिग्गज हैं, बल्कि एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व भी हैं, जिनका जम्मू और कश्मीर दोनों में अपने समुदाय के लोगों पर बहुत प्रभाव है। उनके भाजपा में शामिल होने से पार्टी जमीनी स्तर पर और मजबूत होगी।