Edited By ,Updated: 30 Mar, 2015 11:04 AM
मद्रास उच्च न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि काली होने के कारण पत्नी की आलोचना कर देने भर से व्यक्ति को उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
मदुरै: मद्रास उच्च न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि काली होने के कारण पत्नी की आलोचना कर देने भर से व्यक्ति को उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण ने निचली अदालत के खिलाफ परमशिवम की याचिका मंजूर करते हुए कहा, ‘काली होने की वजह से पत्नी की आलोचना करना उसका उत्पीडऩ नहीं है और यह नहीं कहा जा सकता कि पति ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया।’ न्यायमूर्ति सत्यनारायण ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया।
परमशिवम की पत्नी 12 सितंबर, 2001 को मृत मिली थी। तिरूनेलवेली जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने परमशिवम को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी ठहराया था और सात साल की कैद की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने 27 अक्तूबर, 2006 को उसे दहेज उत्पीड़ऩ कानून के तहत भी तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। परमशिवम ने उस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।