Edited By ,Updated: 25 May, 2015 11:03 AM
'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती।' कहते हैं कि हौंसले बुलंद हो तो किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। ऐसा ही एक जीता जागता उदाहरण मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में देखने को मिला है।
रतलाम: 'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती।' कहते हैं कि हौंसले बुलंद हो तो किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। ऐसा ही एक जीता जागता उदाहरण मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में देखने को मिला है।
जानकारी के मुताबिक कलीमी कॉलोनी निवासी अब्दुल कादिर नामक इस 9 साल के बच्चे ने हाथ न होने के बावजूद कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जानकारी के मुताबिक हादसे में दोनों हाथ गंवाने वाले अब्दुल ने 45 सेकंड में 25 मीटर लंबे स्वीमिंग पूल को तैरकर पार कर लिया।
बताया जा रहा है कि 24 मई 2014 को अब्दुल भोपाल में अपनी मौसी के घर पर था। हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से वह कंधे से दोनों हाथ गंवा बैठा। 24 मई 2015 को हादसे को एक साल पूरा हुआ और उसने उम्मीदों का नया आसमां खड़ा कर दिया। उसने 1 मई से तैरने की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी और रविवार को 25 मीटर लंबे स्वीमिंग पूल को पार कर सबको चौंका दिया। अब्दुल हैंडीकैप स्वीमिंग में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतना चाहता है। उसने फेसबुक पर बिना हाथ के खिलाड़ी के गले में गोल्ड मेडल देखा था, तभी से तैराकी का सपना संजो लिया।
पैरों से चलाता लैपटॉप
बताया जाता है कि अब्दुल पढ़ाई में भी अव्वल है। इस साल सेकंड क्लास उसने 75% नंबर लिए है। हाथ कटने के बाद उसने अस्पताल में ही पैरों से कलम थाम ली थी। वह लैपटॉप भी पैरों से ही चलाता है। वह फुटबॉल भी खेलने लगा है।
अब तक नहीं जागी सरकार
अब्दुल के हौसले को देखकर मप्र के प्रमुख सचिव एंटोनी डिसा ने 15 जनवरी 2015 को कृत्रिम हाथ लगवाने का आश्वासन दिया था। 5 महीने बाद भी उसे हाथ नहीं मिल सके।