Edited By Monika Jamwal,Updated: 31 Jul, 2018 02:05 PM
पवित्र श्री अमरनाथ गुफा में हर वर्ष हिमशिवलिंग के रूप में सुशोभित होने वाले बाबा बर्फानी के अंतध्र्यान होने के साथ ही इस वार्षिक यात्रा में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तादाद बेहद कम हो गई है।
श्रीनगर/जम्मू (बलराम): पवित्र श्री अमरनाथ गुफा में हर वर्ष हिमशिवलिंग के रूप में सुशोभित होने वाले बाबा बर्फानी के अंतध्र्यान होने के साथ ही इस वार्षिक यात्रा में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तादाद बेहद कम हो गई है। दिनों-दिन सिमटती जा रही यात्रा को देखते हुए शिवभक्तों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था करने वाली भंडारा संस्थाओं ने भी अपना सामान समेटकर लौटना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि औपचारिक तौर पर श्री अमरनाथ यात्रा करीब एक माह बाद श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन के दिन सम्पन्न होगी, लेकिन अभी से दो-तिहाई भंडारे लौट चुके हैं और कुछ पड़ावों पर तो एक भी भंडारा नहीं बचा है। यात्रा के अंतिम दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम रह जाने के मद्देनजर भंडारा संस्थाओं के संगठन सबलो (श्री अमरनाथ बर्फानी लंगर्स ऑर्गेनाइजेशन) पहले ही श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की पिछली बैठक में भविष्य में अमरनाथ यात्रा की अवधि 30 दिन तक सीमित करने का प्रस्ताव पेश कर चुकी है, जिस पर श्राइन बोर्ड विचार कर रहा है।
‘पंजाब केसरी’ ने श्री अमरनाथ यात्रा क्षेत्र में दोनों मार्गों के विभिन्न पड़ावों पर स्थापित किए गए भंडारों के बारे में जानकारी हासिल की तो कुल 116 भंडारों में से 114 भंडारों के बारे में जानकारी मिल पाई। इन भंडारों में से अभी तक 81 भंडारे अपना सामान समेटकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश समेत अपने मूल राज्यों को लौट चुके हैं, जबकि 33 भंडारे ऐसे हैं जो अभी भी बाबा बर्फानी के भक्तों को भोजन करवाने के लिए निरंतर चल रहे हैं। इस संबंध में श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उमंग नरूला से बात करनी चाही, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
प्रस्ताव का असर नहीं, यह पुराना समझौता है : सबलो
इस संबंध में भंडारा संस्थाओं के संगठन श्री अमरनाथ बर्फानी लंगर्स ऑर्गेनाइजेशन (सबलो) के महासचिव राजन गुप्ता ने इस बात से इंकार किया कि सबलो द्वारा श्री अमरनाथ यात्रा की अवधि 30 दिन सीमित करने का प्रस्ताव पेश करने के कारण ये भंडारे यात्रा सम्पन्न होने से पहले लौट गए हैं, बल्कि उन्होंने बताया कि यह भंडारा संस्थाओं और श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के बीच हुए पुराने समझौते का प्रभाव है।
राजन गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2007 में उन्होंने श्राइन बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण कुमार से आग्रह किया था कि बोर्ड भंडारों को यात्रा सम्पन्न होने तक रोके रखने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। इस पर भंडारा संस्थाओं और बोर्ड के बीच यह नीतिगत फैसला हुआ था कि यात्रा क्षेत्र में हर पड़ाव पर अहमियत एवं जरूरत के हिसाब से यात्रा सम्पन्न होने तक एक या दो भंडारे स्थापित रहेंगे, ताकि कोई शिवभक्त भूखा न जाए। कौन-कौन सा भंडारा अंत तक रहेगा, यह निर्णय भंडारा संस्थाओं को आपसी सहमति से लेना था। इस पर बहुत से भंडारा संस्थाओं ने स्वेच्छा से अंत तक भंडारा चलाने का निर्णय लिया। इसके बाद विभिन्न भंडारा संस्थाएं अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग अवधि के लिए भंडारा लगाने का आवेदन करने लगी और श्राइन बोर्ड भी उन्हें उनके आवेदन के अनुसार ही अनुमति प्रदान करना था, लेकिन इस बार किसी कारणवश श्राइन बोर्ड ने कम अवधि के लिए आवेदन करने के बावजूद कुछ संस्थाओं को पूरी अवधि के लिए भंडारा लगाने की अनुमति प्रदान कर दी।
श्री अमरनाथ यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर भंडारों की स्थिति
पड़ाव भंडारे गए भंडारे रहे
पवित्र गुफा 7 6
बालटाल/दोमेल 25 9
रेलपत्तरी 2 -
बराड़ी मार्ग 3 -
पंजतरणी 8 3
शेषनाग 6 2
जोजीबल 4 2
चंदनवाड़ी 6 3
वावबल टॉप - 1
पिस्सू टॉप 6 2
दर्दकोट/केलनार 5 1
नूनवान 6 3
पोषपत्री 1 1
संगम 1 -
नागाकोटी 1 -
कुल 81 33
30 जेएएमएच 90 : पवित्र अमरनाथ गुफा।