Edited By Yaspal,Updated: 24 Dec, 2018 06:25 PM
मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद यूपीए सरकार के उलट जिन प्रमुख मामलों में सख्ती दिखाई, उनमें लुटियंस जोन में नियम विरुद्ध रह रहे नेताओं-रसूखदार से बंगले खाली कराना भी शामिल है। ये बात अलग है कि....
नेशनल डेस्कः मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद यूपीए सरकार के उलट जिन प्रमुख मामलों में सख्ती दिखाई, उनमें लुटियंस जोन में नियम विरुद्ध रह रहे नेताओं-रसूखदार से बंगले खाली कराना भी शामिल है। ये बात अलग है कि अगर मामला किसी राज्य के ऐसे मुख्यमंत्री से जुड़ा हो, जो कि बीजेपी का हो या फिर मोदी सरकार का करीबी हो तो उसे बंगला अलॉट करने में भी सरकार पीछे नहीं रही।
एक आरटीआई से पता चला है कि लुटियंस जोन में इस समय 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बंगला मिला हुआ है। खास बात ये है कि ये सभी मुख्यमंत्री या तो सत्तारूढ़ पार्टी से हैं, या फिर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सहयोगी दल। लुटियंस जोन में अतिरिक्त बंगला पाने वालों में बिहार, असम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इन मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग कारण बताकर अपने लिए लुटियंस जोन में सस्ती दरों पर बंगला आवंटित करा लिया है। एक आरटीआई के जवाब में शहरी एवं आवास मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
संख्या |
मुख्यमंत्री |
राज्य (वर्ष) |
1 |
के. चंद्र शेखर राव |
तेलंगाना (2015) |
2 |
चंद्रबाबू नायडू |
आंध्र प्रदेश (2016) |
3 |
सर्बानंद सोनोवाल |
असम (2016) |
4 |
रघुवर दास |
झारखंड (2015) |
5 |
त्रिवेंद्र सिंह रावत |
उत्तराखंड (2017) |
6 |
नीतीश कुमार |
बिहार (2017) |
7 |
बिप्लब कुमार देब |
त्रिपुरा (2018) |
मोदी सरकार के कार्यकाल में सात मुख्यमंत्रियों ने लुटियंस जोन में बंगला मांगा था। सातों मुख्यमंत्रियों को बंगला एलॉट कर दिया गया। एलॉटमेंट के वक्त सभी मुख्यमंत्री एनडीए का हिस्सा था। ये सभी एलॉटमेंट स्टेट कोटा से किए गए हैं, जहां राज्य सरकारों को नॉर्मल लाइसेंस फीस अदा करनी होती है और अलॉटी मुख्यमंत्री को सामान्य दर पर किराया अदा करना पड़ता है।
इस सूची में शामिल तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव कभी एनडीए में बतौर सदस्य शामिल नहीं रहे हैं, लेकिन इस एलॉटमेंट के लिए मोदी सरकार से उनकी दोस्ती कई अहम मौकों पर साबित हो चुकी है, जब केसीआर मोदी सरकार के पक्ष में खड़े नजर आए। दिलचस्प ये भी है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में किसी ऐसे मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली के इस खास जोन में बंगला एलॉट कराने के लिए आवेदन नहीं किया, जिसकी पार्टी एनडीए में नहीं है, यानी न तो किसी कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने यहां बंगला मांगा और न ही यूपीए के किसी अन्य घटक दल के सीएम ने।