Edited By Yaspal,Updated: 24 May, 2022 08:45 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित क्वाड समूह के नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में ‘‘बिना किसी उकसावे के और एकतरफा रूप से'''' यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की किसी भी कोशिश का मंगलवार को पुरजोर विरोध किया तथा बल प्रयोग...
इंटरनेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित क्वाड समूह के नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में ‘‘बिना किसी उकसावे के और एकतरफा रूप से'' यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की किसी भी कोशिश का मंगलवार को पुरजोर विरोध किया तथा बल प्रयोग या किसी तरह की धमकी के बिना शांतिपूर्ण ढंग से विवादों का निपटारा करने का आह्वान किया। इसे आक्रामक चीन के लिये स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। क्वाड समूह के नेताओं ने क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को बरकरार रखने का संकल्प व्यक्त किया।
क्वाड समूह के नेताओं की दूसरी प्रत्यक्ष बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रमों और साझा हितों से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘ हम ऐसी किसी भी बलपूर्वक, उकसाने वाली या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं, जिसके जरिये यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश की जाए। इसमें विवादित चीजों का सैन्यीकरण, तटरक्षक पोतों एवं नौवहन मिलिशिया का खतरनाक इस्तेमाल, दूसरे देशों के अपतटीय संसाधनों के उपयोग की गतिविधियों को बाधित करने जैसी कार्रवाई शामिल है।''
क्वाड, क्षेत्र में सहयोगियों के साथ सहयोग बढ़ाने को प्रतिबद्ध है, जो मुक्त एवं खुले हिन्द प्रशांत की दृष्टि को साझा करते हैं। बयान के अनुसार, ‘‘ हम अंतरराष्ट्रीय कानून का अनुपालन करने के हिमायती हैं, जैसा समुद्री कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) में परिलक्षित होता है। साथ ही हम नौवहन एवं विमानों की उड़ान संबंधी स्वतंत्रता को बनाये रखने के पक्षधर हैं, ताकि नियम आधारित नौवहन व्यवस्था की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके, जिसमें पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर शामिल है''
यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हुआ है, जब चीन और क्वाड के सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इसकी वजह बीजिंग का लोकतांत्रिक मूल्यों को लगातार चुनौती देना और आक्रामक व्यापारिक नीतियां अपनाना है। पूर्वी लद्दाख में 2020 में पैदा हुए गतिरोध के बाद से भारत और चीन के संबंध भी तनावपूर्ण रहे हैं। यह गतिरोध चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई विवादित क्षेत्रों में हजारों सैनिकों को तैनात करने के बाद पैदा हुआ था, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और इसका जोरदार विरोध किया था। भारत ने चीन पर पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिये दबाव डाला है।
मार्च में भारत यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी से कहा गया कि सीमा पर स्थिति ‘असामान्य' रहने पर द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में, भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियां स्वतंत्र, खुला एवं संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रही हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है। हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप एवं सैन्य अड्डे भी बनाए हैं। भारत, अमेरिका सहित दुनिया के कई देश मुक्त, खुला और समावेशी हिन्द प्रशांत की वकालत करते रहे हैं।