Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 Jul, 2025 11:47 AM

भारत में पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद आम बात है। अक्सर देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति अपनी वसीयत (Will) छोड़कर जाता है तो उसके परिवार में संपत्ति को लेकर झगड़े शुरू हो जाते हैं। कई बार आरोप लगते हैं कि वसीयत फर्जी है या धोखाधड़ी से तैयार करवाई गई...
नेशनल डेस्क: भारत में पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद आम बात है। अक्सर देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति अपनी वसीयत (Will) छोड़कर जाता है तो उसके परिवार में संपत्ति को लेकर झगड़े शुरू हो जाते हैं। कई बार आरोप लगते हैं कि वसीयत फर्जी है या धोखाधड़ी से तैयार करवाई गई है। ऐसे में जरूरी हो जाता है यह जानना कि वसीयत को कब और कैसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें कोई व्यक्ति यह तय करता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति किसे दी जाएगी। भारत में वसीयत से जुड़े मामलों की प्रक्रिया भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (Indian Succession Act 1925) के अंतर्गत आती है। एक वसीयत मान्य तभी मानी जाती है जब वह बिना दबाव, धोखाधड़ी और सही कानूनी प्रक्रिया के तहत बनाई गई हो।
किन परिस्थितियों में वसीयत को चुनौती दी जा सकती है
1. धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला
यदि यह शक हो कि वसीयत जालसाजी से तैयार की गई है या उसमें वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर नकली हैं, तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
उदाहरण: अगर कोई दावा करता है कि वसीयत में दर्ज सिग्नेचर असली नहीं हैं तो फोरेंसिक जांच के जरिए इसकी सच्चाई सामने लाई जा सकती है।
2. मानसिक अस्वस्थता या दबाव में बनाई गई वसीयत
अगर यह साबित हो जाए कि वसीयत बनाने के समय व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ था या उस पर किसी ने दबाव डालकर वसीयत बनवाई थी, तो वह अमान्य मानी जा सकती है।
3. कानूनी प्रक्रिया का पालन न होना
वसीयत को वैध मानने के लिए कुछ नियम होते हैं जैसे कि वसीयत दो गवाहों के सामने हस्ताक्षरित होनी चाहिए। अगर ये प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो वसीयत को अदालत रद्द कर सकती है।
4. संदिग्ध परिस्थितियों में बनी वसीयत
यदि वसीयत अचानक किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में हो जाए जो पहले कभी संपर्क में नहीं रहा, या बहुत बाद में जोड़ा गया हो, तो यह शक पैदा करता है। ऐसे मामलों में कोर्ट जांच कर सकती है।
कोर्ट में कैसे करें वसीयत को चैलेंज
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सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल करें – वसीयत को चैलेंज करने के लिए सबसे पहले सिविल कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है।
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प्रमाण और सबूत तैयार करें – आरोप लगाने वाले को यह साबित करना होता है कि वसीयत फर्जी, धोखाधड़ी से तैयार की गई या कानूनी रूप से मान्य नहीं है।
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गवाहों की भूमिका – वसीयत तैयार करते समय मौजूद गवाहों से पूछताछ करवाई जा सकती है।
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फोरेंसिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट – अगर सिग्नेचर या दस्तावेज पर शक है तो हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट ली जा सकती है।
किन सबूतों की होगी जरूरत
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वसीयत की कॉपी
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वसीयतकर्ता की मेडिकल रिपोर्ट (यदि मानसिक स्थिति पर सवाल हो)
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गवाहों के बयान
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दस्तावेजी सबूत कि वसीयत बनाते समय व्यक्ति पर दबाव था
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फोरेंसिक रिपोर्ट (सिग्नेचर या अंगूठे के निशान की जांच)