तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में आसान नहीं मोदी सरकार की राह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 01:30 PM

congress can change its stand in the rajya sabha on triple talaq

तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' पिछले हफ्ते लोकसभा में बिना संसोधन के पास हो चुका है। अब मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इस बिल को राज्यसभा में पास करवाने की। कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल को पास...

नई दिल्लीः तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' पिछले हफ्ते लोकसभा में बिना संसोधन के पास हो चुका है। अब मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इस बिल को राज्यसभा में पास करवाने की। कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल को पास करवाने के लिए भाजपा का साथ दिया हालांकि उसने इतना जरूर कहा था कि बिल में कुछ खामियां हैं जिनको ठीक करना जरूरी है। लोकसभा में तो कांग्रेस साथ थी लेकिन क्या राज्यसभा में भी वो ऐसा करेगी। बताया जा रहा है कि बुधवार को यह बिल राज्यसभा में आएगा।
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माना जा रहा है कि राज्यसभा में पार्टी अपना स्टैंड बदल सकती है। दरअसल भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, ऐसे में सहयोगी दलों के साथ-साथ विपक्षी दलों का समर्थन भी उसे इस बिल को पास करने के लिए हासिल करना होगा। ऐसे में मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा नेता तीन तलाक बिल पर सहमति बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों से बातचीत में जुटे हुए हैं। मोदी सरकार इसी सत्र में ही इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना चाहती है। कांग्रेस चाहती है कि बिल में एक बार में तीन तलाक कहने को 'अपराध' बताने वाले क्लॉज को हटा दिया जाए जबकि भाजपा कोई संशोधन नहीं करना चाहती। कांग्रेस का मानना है कि बिल में किए गए प्रावधान के तहत शौहर का जेल जाना तय होगा और ऐसे में इसका असर पीड़ित महिला को मिलने वाले मुआवजे पर पड़ सकता है। साथ ही दोनों के बीच सुलह की कोशिशों को भी इससे झटका लग सकता है।
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वहीं कांग्रेस यह भी नहीं चाहती कि वे इस ऐतिहासिक बिल के आगे रोड़ा बने जिससे कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि को लेकर कोई सवाल खड़े करे और 2019 के लोकसभा चुनाव का पार्टी पर असर हो। वैसे भी राहुल इन दिनों काफी बदल गए हैं और हर फैसला सोच-समझ कर ले रहे हैं। राहुल जानते हैं कि उनके पिता राजीव गांधी के शासनकाल में शाह बानो प्रकरण ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया और वे इस गलती को दोबारा नहीं दोहराना चाहते।
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राज्यसभा में भाजपा के सामने चुनौती
245 सदस्यीय राज्यसभा में निर्दलीय और मनोनीत सदस्यों को छोड़कर 28 राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनके सदस्य हैं। मौजूदा समय में राज्यसभा में भाजपा के पास  57 सदस्य, कांग्रेस के पास 57, टीएमसी के 12, बीजेडी के 8, बीएसपी के 5, सपा के 18, AIADMK के 13, सीपीएम के 7, सीपीआई के 1, डीएमके के 4, एनसीपी के 5, पीडीपी के 2, इनोलो के 1, शिवसेना के 3, तेलुगुदेशम पार्टी के 6, टीआरएस के 3, वाईएसआर के 1, अकाली दल के 3, आरजेडी के 3, आरपीआई के 1, जनता दल(एस) के 1, मुस्लिम लीग के 1, केरला कांग्रेस के 1, नागा पीपुल्स फ्रंट के 1, बीपीएफ के 1 और एसडीएफ के 1 सदस्य हैं. इसके अलावा 8 मनोनीत और 6 निर्दलीय सदस्य हैं।मौजूदा समय में राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के 88 सदस्य हो रहे हैं. इनमें बीजेपी के 57 सदस्य भी शामिल हैं। मोदी सरकार को अगर अपने सभी सहयोगी दलों का साथ मिल जाता है, तो भी बिल को पारित कराने के लिए कम से कम 35 और सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।

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