'नाम में क्या रखा है', औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने पर HC की टिप्पणी; याचिकाएं खारिज

Edited By rajesh kumar,Updated: 08 May, 2024 06:52 PM

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बंबई उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं और कहा कि ‘नाम में क्या रखा है?'

नेशनल डेस्क: बंबई उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं और कहा कि ‘नाम में क्या रखा है?' मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाओं में दम नहीं है तथा राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा,‘‘हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में कुछ भी गैरकानूनी या कानूनी खामी नहीं है।''

नाम में क्या रखा है?
विलियम शेक्सपीयर के नाटक ‘रोमियो एंड जूलियट' को उद्धृत करते हुए पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘नाम में क्या रखा है? भले ही, हम गुलाब को किसी अन्य नाम से पुकारें लेकिन उससे सुगंध ही तो आएगी न।'' पीठ ने कहा कि शेक्सपीयर ने नामों की प्रकृति पर गहरा अध्ययन किया। पीठ ने कहा कि नाम से कुछ नहीं बदलता और गुलाब को कोई अन्य नाम से पुकारने से इस फूल का सार (गंध) नहीं बदल जाएगा। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि महाराष्ट्र भूराजस्व संहिता राज्य सरकार को किसी राजस्व क्षेत्र को समाप्त करने तथा किसी क्षेत्र का नामकरण करने या उसका नाम बदलने की अनुमति देती है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई हिचक नहीं है कि दो जिलों एवं शहरों का नाम बदलने का निर्णय लेने से पहले सरकार ने वैधानिक प्रावधानों का पालन किया है । उच्च न्यायालय ने कहा कि उसकी राय है कि एक राजस्व क्षेत्र या यहां तक कि एक शहर या नगर के नाम में बदलाव का मुद्दा सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि अदालतों के पास ऐसे मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए उपयुक्त साधन नहीं है। पीठ ने कहा,‘‘किसी खास वस्तु या स्थान को किस नाम से बुलाया जाए-- ये ऐसा विषय है जिसकी तब तक न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती जब तक कि प्रस्तावित नाम भयावह न हो।''

सीएम शिंदे ने दी नाम बदलने को मंजूरी 
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 2022 में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमश: छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने को मंजूरी दी थी। सोलह जुलाई, 2022 को दो सदस्यीय मंत्रिमंडल ने नामों को बदलने का एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया था और उसे केंद्र सरकार के पास भेजा था। फरवरी, 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहरों एवं जिलों के नामों को बदलने लिए अनापत्ति पत्र दिया था जिसके बाद राज्य सरकार ने औरंगाबाद एवं उस्मानाबाद के नामों को बदलते हुए गजट अधिसूचना जारी की थी।

हाईकोर्ट में दी सरकार के फैसले को चुनौती 
तब औरंगाबाद के निवासियों ने इस जगह का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की थीं। उस्मानाबाद के 17 लोगों ने इस स्थान का नाम बदलकर धाराशिव करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ अन्य जनहित याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं में सरकार के फैसले को ‘राजनीति से प्रेरित' बताया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने यह दावा करते हुए इन अर्जियों का विरोध किया था कि इन स्थानों के नाम किसी राजनीतिक वजह से नहीं बल्कि उनके इतिहास के कारण बदले गए हैं।

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