कांग्रेस, नेहरू-गांधी परिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है : शाह

Edited By shukdev,Updated: 18 Nov, 2018 07:38 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस को परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाने की चुनौती दिये जाने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी रविवार को विपक्षी पार्टी पर निशाना साधते हुए उसे नेहरू-गांधी परिवार की ‘प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस को परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाने की चुनौती दिये जाने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी रविवार को विपक्षी पार्टी पर निशाना साधते हुए उसे नेहरू-गांधी परिवार की ‘प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ करार दिया। शाह ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस राजनीतिक दल से ज्यादा पारिवारिक उद्यम बन गई है जिसका उद्देश्य वंशवादी सेवा करना है न कि राजनीतिक पार्टी की तरह जन सेवा।

परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति का इस पर कोई अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ में कहा था कि अगर कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार के बाहर किसी को पांच साल के लिए भी अपना अध्यक्ष बनाया होता तब वह मानते कि जवाहर लाल नेहरू ने वास्तव में विपक्षी दल में सच्ची लोकतांत्रिक प्रणाली स्थापित की थी। प्रधानमंत्री ने रविवार को भी राज्य में एक अन्य चुनावी रैली में अपनी बात दोहराई।

अमित शाह ने रविवार को अपने ट्वीट में पलटवार करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नेहरू गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की चुनौती के बाद कई दरबारी अपनी ‘वफादारी’ साबित करने के लिए सामने आए, इससे स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सही कह रहे हैं। 1978 में इंदिरा कांग्रेस के गठन के बाद से एक परिवार के चार सदस्यों ने पार्टी का नेतृत्व किया और इसे पारिवारिक उद्यम का रूप दे दिया जिसका मकसद लोगों की सेवा के लिए राजनीतिक पार्टी बनाने की बजाए वंशवादी सेवा प्रदान करना था।

शाह ने कहा, ‘कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जिसपर परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है।’ शाह 1977 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस में 1978 में हुए विभाजन के संदर्भ में कह रहे थे जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले धड़े को कांग्रेस (आई) के तौर पर मान्यता दी गई थी। जब वह 1980 में सत्ता में वापस लौटीं तो उनके धड़े को बाद में निर्वाचन आयोग ने असली कांग्रेस के तौर पर मान्यता दी। शाह ने पी वी नरसिम्हा राव एवं सीताराम केसरी का जिक्र करते हुए अपने ट्वीट में कहा कि एक परिवार से बाहर के जिन दो सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया, उनके साथ बेहद खराब व्यवहार किया गया। 

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