देश को एक करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट की जरूरत, हमारे पास 3.28 करोड़ : स्वास्थ्य मंत्रालय

Edited By Pardeep,Updated: 10 Apr, 2020 09:59 PM

country needs one crore hydroxychloroquine tablets we have 3 28 crores

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश को...

नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश को एक करोड़ टेबलेट की जरूरत है और हमारे पास 3.28 करोड़ टेबलेट मौजूद हैं। देश में इस दवा का पर्याप्त भंडार है।

यह दवा मुख्य रूप से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होती है। आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान) की एडवाइजरी के मुताबिक, ये दवा उन चिकित्साकर्मियों को दी जा सकती है जो संदिग्ध या संक्रमित कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हैं। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में संक्रमित मरीजों के घरवालों को भी यह दवा देने की सलाह दी गई है। 

दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक है भारत 
भारत ने कुछ दिनों पहले इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अमेरिका और ब्राजील जैसे अन्य देशों के अनुरोध पर इस प्रतिबंध को हटा लिया गया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा (70 फीसदी) हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक देश है। इस क्षेत्र में भारत की तीन फार्मास्युटिकल कंपनियों (आईपीसीए, कैडिला, वालैक) की बादशाहत है। भारत महीने में करीब 40-45 टन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बना सकता है। 

16002 टेस्ट में दो फीसदी पॉजिटिव 
इस दौरान संयुक्त सचिव ने बताया कि कल कोरोना की 16002 जांच की गई और इनमें से दो फीसदी ही पॉजिटिव पाए गए हैं। एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर, संक्रमण दर अधिक नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार ने रैपिड डायग्नोस्टिक्स किट को भी मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में अभी तक कोई सामुदायिक प्रसारण नहीं है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी हमें जागरूक और सतर्क रहना होगा। 

घरेलू आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया निर्यात
विदेश मंत्रालय की तरफ से एएस और समन्वयक दम्मू रवि ने बताया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर बहुत सारे अनुरोध पहले से आए हुए थे। कई देशों द्वारा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के लिए अनुरोध किया गया है, इसलिए घरेलू आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों के एक समूह द्वारा निर्णय लिया गया कि बची हुई दवा ही निर्यात की जाए। 


 

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