Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Jul, 2025 04:36 PM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी लड़की के साथ महज दोस्ती किसी पुरुष को उसकी सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार नहीं देती। अदालत ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी।
नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी लड़की के साथ महज दोस्ती किसी पुरुष को उसकी सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार नहीं देती। अदालत ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने लड़की के साथ सहमति से संबंध बनाने के व्यक्ति के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि नाबालिग के मामले में सहमति भी वैध नहीं मानी जाती है। अदालत ने 24 जुलाई के आदेश में कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि एक लड़की किसी लड़के से दोस्ती करती है, लड़के को उसकी सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार नहीं मिल जाता।
इसके अलावा, मौजूदा मामले में सहमति भी विधिसम्मत नहीं होगी क्योंकि लड़की नाबालिग थी।''
अदालत ने प्राथमिकी में पीड़िता के विशिष्ट आरोपों और उसके विरोध के बावजूद उक्त व्यक्ति द्वारा बार-बार यौन उत्पीड़न किए जाने के बारे में उसकी गवाही को रेखांकित किया। आदेश में कहा गया है, ‘‘मैं इसे सिर्फ़ इसलिए सहमति से संबंध बनाने का मामला नहीं मान रहा, क्योंकि प्राथमिकी में पीड़िता ने कहा है कि आरोपी/याचिकाकर्ता ने अपनी मीठी-मीठी बातों से उससे दोस्ती की।'' न्यायाधीश ने कहा कि यह "आरोपी को जमानत देने का उपयुक्त मामला नहीं है।''
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अप्रैल 2023 में, विकासपुरी स्थित एनडीएमसी अपार्टमेंट में निर्माण मजदूर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति ने नाबालिग से दोस्ती की और उसके बाद उसके साथ बलात्कार किया। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि लड़की को धमकी दी गई कि वह इस बारे में किसी को न बताए और व्यक्ति नवंबर 2023 तक उसके साथ बलात्कार करता रहा।
व्यक्ति ने दावा किया कि घटना के समय लड़की बालिग थी और उसने उसके साथ सहमति से यौन संबंध बनाए थे। याचिका खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि लड़की की मां की गवाही में से एक चुनिंदा पंक्ति को रिकॉर्ड में मौजूद बाकी सामग्री से अलग होकर नहीं पढ़ा जा सकता। अदालत ने लड़की के शैक्षणिक रिकॉर्ड को आधार मानते हुए उसे नाबालिग माना।