Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Dec, 2025 12:12 PM

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के संपत्ति अधिकारों (Property Rights) को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और स्पष्ट फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि तलाक के बाद महिला अपने माता-पिता, रिश्तेदारों या पति द्वारा विवाह...
नेशनल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के संपत्ति अधिकारों (Property Rights) को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और स्पष्ट फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि तलाक के बाद महिला अपने माता-पिता, रिश्तेदारों या पति द्वारा विवाह के समय दिए गए सभी नकदी, सोना, गहने और अन्य वस्तुएं वापस मांगने का पूरा कानूनी अधिकार रखती है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि ये सभी वस्तुएं महिला की निजी संपत्ति मानी जाएंगी और तलाक के बाद उन्हें लौटाना अनिवार्य है।
महिला की गरिमा और स्वायत्तता सर्वोच्च
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की दो-सदस्यीय पीठ ने इस फैसले के पीछे के संवैधानिक मूल्यों को उजागर किया। पीठ ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 की व्याख्या करते समय समानता, गरिमा (Dignity) और स्वायत्तता (Autonomy) जैसे संवैधानिक मूल्यों को सर्वोच्च रखा जाना चाहिए।
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अदालत ने ज़ोर देकर कहा कि इस कानून को केवल एक सामान्य नागरिक विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। न्यायालयों को महिलाओं की वास्तविक सामाजिक परिस्थितियों को समझते हुए निर्णय लेना चाहिए खासकर उन क्षेत्रों में जहां पितृसत्तात्मक भेदभाव (Patriarchal Discrimination) अब भी सामान्य है। पीठ ने कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए समानता का सपना दिखाता है जिसे हासिल करने के लिए न्यायालयों को सामाजिक न्याय-आधारित निर्णयों का सहारा लेना चाहिए।
धारा 3 का स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को मज़बूती देने के लिए 1986 के अधिनियम की धारा 3 का हवाला दिया। यह धारा साफ-साफ कहती है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला शादी से पहले, शादी के समय या शादी के बाद उसे दिए गए सभी उपहारों (Gifts), नकदी, सोने और संपत्तियों की कानूनी हकदार है। यह संपत्ति चाहे उसके माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों या पति की ओर से दी गई हो, तलाक के बाद उसे वापस मिलना चाहिए।
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फैसले का महत्व
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक कानूनी व्याख्या नहीं है बल्कि समाज में महिलाओं के हकों को मज़बूत करने वाला एक बड़ा कदम है। यह आदेश उन तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी राहत साबित होगा जिन्हें अक्सर विवाह में मिली अपनी निजी संपत्ति वापस पाने में कानूनी और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ता था।