टूलकिट मामला: शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर अदालत ने पुलिस से मांगा जवाब

Edited By Pardeep,Updated: 24 Feb, 2021 09:34 PM

court seeks answer from police on shantanu muluk s advance bail petition

किसान आंदोलन से संबंधित “टूलकिट” सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर यहां की एक अदालत ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब

नई दिल्लीः किसान आंदोलन से संबंधित “टूलकिट” सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर यहां की एक अदालत ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। 

मुलुक पर दिशा रवि और अन्य सह-आरोपी निकिता जैकब के साथ कथित तौर पर राजद्रोह व अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। रवि को जमानत देने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने बुधवार को पुलिस को मुलुक की जमानत याचिका पर जवाब दायर करने के निर्देश देते हुए मामले में सुनवाई की अगली तारीख बृहस्पतिवार को तय की। मुलुक को बंबई उच्च न्यायालय ने 16 फरवरी को 10 दिन के लिये ट्रांजिट जमानत मिली थी। 

बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत ने इस पर भी संज्ञान लिया कि मुलुक को गिरफ्तारी से 26 फरवरी तक संरक्षण मिला हुआ है। अभियोजन पक्ष के मामले के जांच अधिकारी के आज उपस्थित नहीं होने की जानकारी दिये जाने के बाद मामला स्थगित कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने कहा, “बेहतर होगा अगर मामला भौतिक उपस्थिति के साथ सुना जाए।” 

अपनी याचिका में मुलुक ने कहा कि उसने महज एक टूलकिट बनाया जिसमें प्रदर्शन को लेकर सूचना थी जिसे बाद में अन्य लोगों द्वारा बिना उसकी जानकारी के संपादित किया गया। पुलिस के मुताबिक, “टूलकिट” भारत को बदनाम करने और हिंसा फैलाने के मकसद से बनाया गया था।

याचिका में यह भी कहा गया कि 20 जनवरी के बाद मुलुक की उस दस्तावेज तक पहुंच नहीं थी। इसमें कहा गया, “याचिकाकर्ता (मुलुक) ने किसानों के प्रदर्शन स्थलों के बारे में जानकारी एकत्र कर आसान संदर्भ के लिये इसे नक्शे के माध्यम दिखाया।” याचिका में कहा गया, “टूलकिट स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसानों के प्रदर्शन या किसी भी तरह की हिंसा के लिये उनके सोशल मीडिया का उससे कोई संबंध नहीं है।” 

याचिका में कहा गया कि टूलकिट में “ऐसा कुछ भी नहीं” है जिससे किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि होने का संकेत मिले और इसमें सिर्फ सोशल मीडिया और शांतिपूर्ण प्रदर्शन और निर्वाचित प्रतिनिधियों से संपर्क की बात है। कनाडा स्थित खालिस्तानी संगठन ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' और ‘सिख्स फॉर जस्टिस' के साथ अपने कथित संबंधों के पुलिस के आरोपों के संदर्भ में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका टूलकिट के संबंध में उसका भारत के बाहर किसी भी व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं रहा। 

याचिका में कहा गया, “प्रदर्शन के अंतरराष्ट्रीयकरण को लेकर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन यह भी निश्चित रूप से अवैध नहीं है। याचिकाकर्ता पर्यावरण कार्यकर्ता के तौर पर जरूरत पर अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं के साथ अभियान चलाता है। भारत के बाहर स्थित व्यक्ति से महज बात करने को अपराध नहीं बनाया जा सकता।” याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक एमओ धालीवाल के बारे में जानकारी नहीं थी और 11 जनवरी को जूम ऐप पर हुई कॉल में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं कहा गया था जिसका वो दोनों हिस्सा थे। 

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